Tuesday, November 04, 2014

वो ज़माना और था

वो ज़माना और था अब ये ज़माना और है।
वो तराना और था अब ये तराना और है।।

यार के जख़्मों को धोया आँसुओं की धार से,
वो दीवाना और था अब ये दीवाना और है।

टूटता था दिल तो बन जाती हसीं इक दास्ताँ,
वो फ़साना और था अब ये फ़साना और है॥

देखते वे ग़ैर-जानिब क़त्ल हो जाते थे हम,
वो निशाना और था अब ये निशाना और है।

मुद्दई तब भी थीं ग़ाफ़िल! ग़ालिबन् नज़रें यही,
वो बहाना और था अब ये बहाना और है।।

-‘ग़ाफ़िल’

35 comments:

  1. यार के जख़्मों को धोया आँसुओं की धार से,
    वो दीवाना और था अब ये दीवाना और है।

    वाह क्या बात, गजब है बिलकुल ...

    ReplyDelete
  2. देखते वो ग़ैर-ज़ानिब क़त्ल हो जाते थे हम,
    वो निशाना और था अब ये निशाना और है।
    इस तरह की ग़ज़ल, इस तरह के शे’र कभी पुराने नहीं होते।

    ReplyDelete
  3. टूटता था दिल तो बन जाती हसीं इक दास्ताँ,
    वो फ़साना और था अब ये फ़साना और है॥

    वाह यह फ़साना ....!

    ReplyDelete
  4. "वो बहाना और था और यह बहाना और है "
    बहुत अच्छी रचना बधार्र |
    आशा

    ReplyDelete
  5. टूटता था दिल तो बन जाती हसीं इक दास्ताँ,
    वो फ़साना और था अब ये फ़साना और है।

    बहुत खूब , गाफिल साहब, बहुत खूब।

    ReplyDelete
  6. यार के जख़्मों को धोया आँसुओं की धार से,
    वो दीवाना और था अब ये दीवाना और है।

    Wah...Bahut Sunder

    ReplyDelete
  7. यार के जख़्मों को धोया आँसुओं की धार से,
    वो दीवाना और था अब ये दीवाना और है।... bahut parivartan hua

    ReplyDelete
  8. यार के जख़्मों को धोया आँसुओं की धार से,
    वो दीवाना और था अब ये दीवाना और है।

    बहुत खुबसूरत ग़ज़ल...
    सादर बधाई...

    ReplyDelete
  9. बहुत सुन्दर ग़ज़ल......

    ReplyDelete
  10. टूटता था दिल तो बन जाती हसीं इक दास्ताँ,
    वो फ़साना और था अब ये फ़साना और है ...

    वाह .. लाजवाब .... कमाल की गज़ल है .. समय समय की बात है ... ज़माने का अंतर है .. क्या कहने ..

    ReplyDelete
  11. बहुत खूब कहा है आपने .......उम्दा गजल

    ReplyDelete
  12. वाह बहुत ही खूबसूरत भावो को संजोया है।

    ReplyDelete
  13. Bahut sundar rachna Gaafil saahab... Bahut sundar..

    ReplyDelete
  14. देखते वो ग़ैर-ज़ानिब क़त्ल हो जाते थे हम,
    वो निशाना और था अब ये निशाना और है।गाफ़िल साहब बहुत खूबसूरत काबिले दाद हरेक अशआर ,क्या कहने हैं आपके .मर बे हवा .यही कहते हैं न ?
    Saturday, August 20, 2011
    प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
    गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
    http://sb.samwaad.com/

    ReplyDelete
  15. यार के जख़्मों को धोया आँसुओं की धार से,
    वो दीवाना और था अब ये दीवाना और है।


    aansuo ki dhaara bahne lage..main samajh sakta hoon is deewangi ko

    ReplyDelete
  16. देखते वो ग़ैर-ज़ानिब क़त्ल हो जाते थे हम,
    वो निशाना और था अब ये निशाना और है।

    क्या कहने आपके....
    गजब कर दिया...

    ReplyDelete
  17. बहुत खूब , गाफिल साहब, बहुत खूब।

    ReplyDelete
  18. सामयिक रचना .
    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

    ReplyDelete
  19. मुद्दई तब भी थीं ग़ाफ़िल! ग़ालिबन् नज़रें यही,
    वो बहाना और था अब ये बहाना और है॥
    शानदार अभिब्यक्ति के लिए बधाई आपको /जन्माष्टमी की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं /
    आप ब्लोगर्स मीट वीकली (५) के मंच पर आयें /और अपने विचारों से हमें अवगत कराएं /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /प्रत्येक सोमवार को होने वाले
    " http://hbfint.blogspot.com/2011/08/5-happy-janmashtami-happy-ramazan.html"ब्लोगर्स मीट वीकली मैं आप सादर आमंत्रित हैं /आभार /

    ReplyDelete
  20. वाह,क्या मिसरे उठाये आपने अबकी दफा..
    वो उठाना और था अब ये उठाना और है.

    ReplyDelete
  21. समय का फेर है |
    काफी कुछ बदल गया है २५ वर्षों में ||
    वो सुबह का राग था ये डूबती सी शाम है |
    वो दीवाना था नया सा, अब मगर बदनाम है |
    बढ़िया ||
    ऐसे ही
    बीच-बीच में पुरानी रचनाएं भी पढवातें रहें ||
    आभार ||

    ReplyDelete
  22. वो जमाना और था अब ये जमाना और है।
    वो तराना और था अब ये तराना और है॥गाफ़िल भाई आप लोगों ने हौसला बधाया हुआ है वरना एक श्रेष्ठ वरिष्ठ ,नेक नागरिक की गिरती सेहत ....हम सबको विचलित करने लगी है ..कब तक रुकेगा यह लावा अन्दर .....

    शर्म उनको फिर भी नहीं आती ,संवेदन हीन प्रधान मंत्री इस मौके पर भी इफ्त्यार पार्टी का न्योंता दे रहें हैं .मुस्लिम भाइयों को इस न्योंते को राष्ट्र हित में ठुकरा देना चाहिए .डॉ मोनिका जी , आपका बड़ा हौसला है हम तो अन्ना जी की सेहत को लेकर .....बेशक शरीर और मन -बुद्धि संस्कार का संयुक्त रूप चेतन ऊर्जा अलग है ...शरीर का क्या है लेकिन उपभोक्ता तो आत्मा ही है ,.........
    अन्ना जी की सेहत खतरनाक रुख ले रही है .जय अन्ना ,जय कृष्णा यौना -प्रचोदयात .........
    गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
    Posted by veerubhai on Sunday, August 21
    २३ अगस्त २०११ १:३६ अपराह्न

    ReplyDelete
  23. यार के जख़्मों को धोया आँसुओं की धार से,
    वो दीवाना और था अब ये दीवाना और है।
    वो जमाना और था अब ये जमाना और है।
    वो तराना और था अब ये तराना और है॥गाफ़िल भाई आप लोगों ने हौसला बधाया हुआ है वरना एक श्रेष्ठ वरिष्ठ ,नेक नागरिक की गिरती सेहत ....हम सबको विचलित करने लगी है ..कब तक रुकेगा यह लावा अन्दर .....इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार ./ http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com
    Tuesday, August 23, 2011
    इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार .
    जिस व्यक्ति ने आजीवन उतना ही अन्न -वस्त्र ग्रहण किया है जितना की शरीर को चलाये रखने के लिए ज़रूरी है उसकी चर्बी पिघलाने के हालात पैदा कर दिए हैं इस "कथित नरेगा चलाने वाली खून चुस्सू सरकार" ने जो गरीब किसानों की उपजाऊ ज़मीन छीनकर "सेज "बिछ्वाती है अमीरों की ,और ऐसी भ्रष्ट व्यवस्था जिसने खड़ी कर ली है जो गरीबों का शोषण करके चर्बी चढ़ाए हुए है .वही चर्बी -नुमा सरकार अब हमारे ही मुसलमान भाइयों को इफ्तियार पार्टी देकर ,इफ्तियार का पुण्य भी लूटना चाहती है ।
    अब यह सोचना हमारे मुस्लिम भाइयों को है वह इस पार्टी को क़ुबूल करें या रद्द करें .उन्हें इस विषय पर विचार ज़रूर करना चाहिए .भारत देश का वह एक महत्वपूर्ण अंग हैं ,वाइटल ओर्गेंन हैं .

    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com//......
    गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
    Posted by veerubhai on Sunday, August 21
    २३ अगस्त २०११ १:३६ अपराह्न

    ReplyDelete
  24. यार के जख़्मों को धोया आँसुओं की धार से,
    वो दीवाना और था अब ये दीवाना और है...

    Very appealing lines. Beautiful ghazal.

    .

    ReplyDelete
  25. गाफ़िल जी, नमस्कार बहुत सुन्दर लाइने है - [ यार के जख़्मों को धोया आँसुओं की धार से,
    वो दीवाना और था अब ये दीवाना और है।]

    ReplyDelete
  26. बहुत ही बढ़िया सर!

    सादर

    ReplyDelete
  27. बहुत खूब ....
    बहुत ही सुन्दर गजल है....

    ReplyDelete
  28. वाह!!
    बेहतरीन गज़ल..
    सादर.

    ReplyDelete
  29. वाह! बढ़िया ग़ज़ल सर ....:)

    ReplyDelete
  30. सार्थक-उपयोगी और उम्दा प्रस्तुति!

    ReplyDelete