Tuesday, August 11, 2015

साथ हमको सनम आपका चाहिए

212 212 212 212

एक अहदे वफ़ा अब हुआ चाहिए
साथ हमको सनम आपका चाहिए

अब तलक ख़ूब लू के थपेड़े सहे
चाहिए बस हमें अब सबा चाहिए

ज़ह्र से हों भरी या के शीरींअदा
आपसे बात का सिलसिला चाहिए

ज़ीनते बज़्म कायम रहे इसलिए
आपके रुख़ से पर्दा हटा चाहिए

इश्क़ के हर्फ़ से हम हैं अंजान पर
आशिक़ों का हमें मर्तबा चाहिए

हुस्न रूठा तो क्या इश्क़ रुश्वा न हो
बस यही आपकी इक दुआ चाहिए

क्या थिरकने लगे यह हमारी ग़ज़ल
इक दफा आपका मर्हबा चाहिए

कुछ मिला तो भला, नफ़्रतें ही सही
एक ग़ाफ़िल को अब और क्या चाहिए

-‘ग़ाफ़िल’

3 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 13 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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