Friday, July 19, 2019

तेरी उल्फ़त में क्या न कर गुज़रे

गर मुहब्बत भरा सफ़र गुज़रे
या ख़ुदा फिर तो उम्र भर गुज़रे

हो किसी ख़ुल्द की किसे ख़्वाहिश
तेरी सुह्बत में वक़्त अगर गुज़रे

एक तूफ़ान हमसे टकराया
हाँ उसी ठौर हम जिधर गुज़रे

जी गँवाया था जाँ गँवाई अब
तेरी उल्फ़त में क्या न कर गुज़रे

फूल की हो के राह काँटों की
ग़ाफ़िल आशिक़ हर एक पर गुज़रे

-‘ग़ाफ़िल’

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