Tuesday, November 19, 2019

ये ज़िन्दगी

नाच गर आए न तो आँगन को टेढ़ा क्यूँ कहें
क्यूँ कहें तलवार की सी धार है ये ज़िन्दगी
देखिए तो ज़िन्दगी बस चार दिन का खेल है
सोचिए तो जिस्म के भी पार है ये ज़िन्दगी

-‘ग़ाफ़िल’

6 comments:


  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना 20 नवंबर 2019 के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  2. वाह बहुत खूब सुंदर सटीक।

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  3. वाह!!!
    लाजवाब...

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  4. शानदार! बहुत ही अच्छा लिखा है ऐसे ही लिखते रहिए। हम भी लिखते हैं हमारे लेख पढ़ने के लिए आप नीचे क्लिक कर सकते हैं।
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  5. अद्भुत लेखन। कई बार पढ़ना अच्छा लगा। मैं भी लिख रहा हूं कृपया मेरा लेख भी पढ़ें
    चींटी हिंदी में

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