Monday, January 13, 2020

ग़ाफ़िल जी बादलों के भला पार कौन है

मत पूछिए के इश्क़ में लाचार कौन है
यह देखिए के अस्ल गुनहगार कौन है

गोया के चारसू है गुलों की जमात पर
चुभता है मेरे जी में वो जो ख़ार, कौन है

अब तक न जान पाया के दर्या-ए-इश्क़ में
मुझको डुबा दिया जो मेरा यार, कौन है

होता है इश्क़ ख़ुश हो जब अपना दिलो दिमाग़
उल्फ़त के कारोबार में बीमार कौन है

दिखता नहीं है वैसे जो महसूस हो रहा
ग़ाफ़िल जी बादलों के भला पार कौन है

-‘ग़ाफ़िल’

4 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 15 जनवरी 2020 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. बहुत ही आला ग़ाफ़िल साहब !
    वाह !
    क्या कहने !

    ReplyDelete
  3. बहुत ही उम्दा सृजन।

    ReplyDelete