Monday, February 03, 2020

मेरी रात आज भी कँवारी है

ये जो उल्फ़त है तेरी मेरे लिए
बस ज़रा सी है या के सारी है?
इश्क़बाजी के फेर में ग़ाफ़िल!!
मेरी रात आज भी कँवारी है

-‘ग़ाफ़िल’
(चित्र गूगल से साभार)

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