tag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post5357078327067893728..comments2024-03-08T07:10:36.846+05:30Comments on अंदाज़े ग़ाफ़िल: कुछ अलाहदा शे’र : ज़ुरूरी तो नहींचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’http://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-77354824170399040742015-02-02T18:23:07.803+05:302015-02-02T18:23:07.803+05:30बहुत खूब।बहुत खूब।Pratibha Vermahttps://www.blogger.com/profile/09088661008620689973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-16315484112732721972015-02-01T19:42:59.343+05:302015-02-01T19:42:59.343+05:30सार्थक प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा क...सार्थक प्रस्तुति।<br />--<br />आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (02-02-2015) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> "डोरबैल पर अपनी अँगुली" (चर्चा मंच अंक-1877) </a> पर भी होगी।<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com