tag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post7004048623396657013..comments2024-03-08T07:10:36.846+05:30Comments on अंदाज़े ग़ाफ़िल: कवि तुम बाज़ी मार ले गये!चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’http://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-37287085583834335382013-01-13T12:54:35.059+05:302013-01-13T12:54:35.059+05:30वाह! बहुत ही सटीक कविता!वाह! बहुत ही सटीक कविता!'साहिल'https://www.blogger.com/profile/13420654565201644261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-23307855148486654992012-12-28T15:41:09.389+05:302012-12-28T15:41:09.389+05:30एक गद्य का तार-तार कर,
उसपर एंटर मार-मारकर,
सकारात...एक गद्य का तार-तार कर,<br />उसपर एंटर मार-मारकर,<br />सकारात्मक कविता कहकर<br />'वाह वाह' सरकार ले गये!<br />कवि तुम...!<br /> badhiya....achha sandesh...Arvind kumarhttps://www.blogger.com/profile/03504629875847185653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-36262929441208300082012-12-28T14:28:39.821+05:302012-12-28T14:28:39.821+05:30bahut sahi likha hai aapne aaj ki kavita par...bahut sahi likha hai aapne aaj ki kavita par...उपेन्द्र नाथhttps://www.blogger.com/profile/07603216151835286501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-38654404398570776632012-12-27T20:50:07.816+05:302012-12-27T20:50:07.816+05:30पहले तो इस विषय पर कोई इतनी अच्छी कविता लिख सकता ह...पहले तो इस विषय पर कोई इतनी अच्छी कविता लिख सकता है, मेरे कल्पना से परे थी। इसके लिए आपको सलाम!!<br />इस कविता में कही हर बात से सहमत।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-9584614641254804282012-12-27T20:11:33.973+05:302012-12-27T20:11:33.973+05:30bahut hi prabhavshali vyang ...badhai mishr ji .bahut hi prabhavshali vyang ...badhai mishr ji .Naveen Mani Tripathihttps://www.blogger.com/profile/12695495499891742635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-92161796625562359582012-12-27T13:42:57.687+05:302012-12-27T13:42:57.687+05:30बहुत सुन्दर और सटीक...बहुत सुन्दर और सटीक...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-37829572071948956052012-12-27T12:30:44.526+05:302012-12-27T12:30:44.526+05:30sateek!!
abhaar
naazsateek!!<br /><br />abhaar<br /><br />naazMridula Ujjwalhttps://www.blogger.com/profile/01352684031308418370noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-78066221627946340542012-12-27T00:35:04.467+05:302012-12-27T00:35:04.467+05:30सटीक व्यंग बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,,,,आप तो बाजी म...सटीक व्यंग बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,,,,आप तो बाजी मार ले गये,,, <br /><br />recent post <a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/12/blog-post_6581.html#links" rel="nofollow">: नववर्ष की बधाई</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-73239299620137865202012-12-26T23:22:57.429+05:302012-12-26T23:22:57.429+05:30सारा छपास का रोग झेल रही है बेचारी कविता !सारा छपास का रोग झेल रही है बेचारी कविता !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-33471318783754115402012-12-26T19:16:57.534+05:302012-12-26T19:16:57.534+05:30lajabab racna ...aaj ke sahitya par wakai kararee ...lajabab racna ...aaj ke sahitya par wakai kararee chot hai yah rachna Dr.Ashutosh Mishra "Ashu"https://www.blogger.com/profile/06488429624376922144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-4498451563777109382012-12-26T19:05:35.723+05:302012-12-26T19:05:35.723+05:30कटाक्ष तो खूब किया है पर कविता किसी विधा की मोहताज...कटाक्ष तो खूब किया है पर कविता किसी विधा की मोहताज नहीं। विधाएँ तरसती हैं उसे खुद में आत्मसात करने के लिए। अभिव्यक्ति सशक्त है, भाव दमदार है, कुछ अनूठा है तो वह पाठक के दिल को हिलोरेगा ही।..बहरहाल..दमदार कविता के लिए बधाई स्वीकार करें।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-49952641319248621032012-12-26T17:31:50.501+05:302012-12-26T17:31:50.501+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
लुप्त हुआ है काव्य का, नभ म...बहुत सुन्दर प्रस्तुति!<br />लुप्त हुआ है काव्य का, नभ में सूरज आज।<br />बिना छंद रचना करें, ज्यादातर कविराज।।<br />--<br />चार लाइनों में मिलें, टिप्पणिया चालीस।<br />बिना छंद के शान्त हो, मन की सारी टीस।।<br />--<br />बिन मर्यादा यश मिले, गति-यति का क्या काम।<br />गद्यगीत को मिल गया, कविता का आयाम।।<br />--<br />अनुच्छेद में बाँटिये, लिख करके आलेख।<br />छंदहीन इस काव्य का, रूप लीजिए देख।।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-37147602214065079882012-12-26T16:26:10.085+05:302012-12-26T16:26:10.085+05:30मार एंटर
लिख लिख गद्य को
बना कविता!मार एंटर<br />लिख लिख गद्य को<br />बना कविता!कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-29919214045799783862012-12-26T15:03:02.517+05:302012-12-26T15:03:02.517+05:30हाहाहहाहा, बढिया
वैसे गाफिल इस कविता के बाद में भ...हाहाहहाहा, बढिया <br />वैसे गाफिल इस कविता के बाद में भी यही कहूंगा कि आप भी बाजी मार ही ले गए...महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-15888139027482733822012-12-26T14:56:50.711+05:302012-12-26T14:56:50.711+05:30आज के कवि पर गाफ़िल जी बाज़ी मार ले गये ....सटिक!आज के कवि पर गाफ़िल जी बाज़ी मार ले गये ....सटिक!अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-43161422575588501762012-12-26T13:17:05.107+05:302012-12-26T13:17:05.107+05:30ऐसा सुन्दर व सटीक वर्णन किया है की बस पढ़कर मुग्ध ह...ऐसा सुन्दर व सटीक वर्णन किया है की बस पढ़कर मुग्ध हो गया हूँ सर ढेरों बधाई स्वीकारें अरुन अनन्तhttps://www.blogger.com/profile/02927778303930940566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-55789844169749699522012-12-26T13:10:53.576+05:302012-12-26T13:10:53.576+05:30बिल्कुल सच कहा आपने अब किसी को लगे तो लगे...गद्य ट...बिल्कुल सच कहा आपने अब किसी को लगे तो लगे...गद्य टाइप की कविता भी कोई कविता है अगर ऐसे ही कवि बनना होता तो डॉ. विद्यानिवास मिश्र जी कवि ही बने होते...जो छन्द में न हो, अलंकारित न हो, उसे पढ़कर कोई रस न मिले वह कविता कैसी...कवि बनना इतना आसान थोड़े है...वह तो भला हो 'निराला' जी का जिनकी बदौलत कवियों की भरमार हो गयी वर्ना तुक, ताल, लय, मात्रा में लिखे कोई कविता तब पता चले कि कवि बनना कितना पापड़ बेलना होता है...आज की कविताओं में भाव-शब्द का मेल ही नहीं होता और जब कोई अर्थ नहीं निकलता तो प्रगतिवादी और नयी आदि न जाने क्या क्या हो जाती है कविता...बस चार क्लिष्ट साहित्यिक शब्दों को जोड़ दो हो गयी कविता! इससे अच्छा तो भाव प्रदर्शन हेतु एक सुन्दर आलेख लिख दिया दिया जाय क्या आवश्यक है कविता लिखना? उच्चतर आलेख, निबन्ध, कहानी, उपन्यास आदि गद्य विधा में लिखें तब भी मान्यता प्राप्त गद्य-कविताकार साहित्यकार माने जाएंगे...ग़ाफ़िल साहब आपकी यह कविता भले ही तथाकथित प्रगतिवादी और नयी कविता के कवियों को नागवार गुज़रे पर आपने बहुत सही लिखा है बधाई आपको और आभार आपकाAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/14167053354313199541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-13837403435657986302012-12-26T12:37:53.568+05:302012-12-26T12:37:53.568+05:30बहुत ही सुंदर रचना,अतुलनीय। आज ही आपके पेज के दर्श...बहुत ही सुंदर रचना,अतुलनीय। आज ही आपके पेज के दर्शन हुए,धन्यबाद।<br /><br />Rajendra kumarhttps://www.blogger.com/profile/00010996779605572611noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-40741511295277174202012-12-25T23:40:20.324+05:302012-12-25T23:40:20.324+05:30रूप रंग रस धार ले गई ,
प्रीतम का श्रृंगार ले गई ,...रूप रंग रस धार ले गई ,<br /><br />प्रीतम का श्रृंगार ले गई ,<br /><br />कविता सारा प्यार ले गई ,<br /><br />जीवन का सब सार ले गई .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-78840564961558124852012-12-25T23:37:35.447+05:302012-12-25T23:37:35.447+05:30बहुत खूब भाई साहब .युग परिवर्तन की आहट देती है यह ...बहुत खूब भाई साहब .युग परिवर्तन की आहट देती है यह रचना -<br /><br /><br />एक तरफ है नारी साड़ी ,कैटवाक उस तरफ है यारो -<br /><br />क्वाटर पेंट कैपरी है अब ,साड़ी हो गई आज डिज़ाईनर ,<br /><br />रूप रंग श्रृंगार ले गई ,<br /><br />कविता सारा प्यार ले गई .<br /><br />मंगलवार, दिसम्बर 25, 2012<br /><br />ऐ कवि बाज़ी मार ले गये!<br />ऐ कवि बाज़ी मार ले गये!<br />कविता का संसार ले गये!!<br /><br />कविता से अब छन्द है ग़ायब,<br />लय है ग़ायब, बन्द है ग़ायब,<br />प्रगतिवाद के नाम पे प्यारे!<br />कविता का श्रृंगार ले गये!<br />ऐ कवि...!<br /><br />भाव, भंगिमा, भाषा ग़ायब,<br />रस और ज्ञान-पिपासा ग़ायब,<br />शब्द-भंवर में पाठक उलझा<br />ख़ुद का बेड़ा पार ले गये!<br />ऐ कवि...!<br /><br />एक गद्य का तार-तार कर,<br />उसपर एंटर मार-मार कर,<br />सकारात्मक कविता कहकर<br />'वाह वाह' सरकार ले गये!<br />ऐ कवि...!<br /><br />झउआ भर पुस्तक छपवाकर,<br />धन और पद को ख़ूब भुनाकर,<br />पाठ्यक्रमों का हिस्सा बनकर<br />‘ग़ाफ़िल’ का व्यापार ले गये!<br /><br />ऐ कवि बाज़ी मार ले गये!<br />कविता का संसार ले गये!!virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-29174092302649869462012-12-25T23:19:26.209+05:302012-12-25T23:19:26.209+05:30कविता से अब छन्द है ग़ायब,
लय है ग़ायब, बन्द है ग़...<b> </b> <br /><br /><b> कविता से अब छन्द है ग़ायब,<br />लय है ग़ायब, बन्द है ग़ायब,<br />प्रगतिवाद के नाम पे प्यारे!<br />कविता का शृंगार ले गये! </b> <br />सच है ... <br /><br /><b> झउआ भर पुस्तक छपवाकर,<br />पद की गरिमा ख़ूब भुनाकर,<br />पाठ्यक्रमों का हिस्सा बनकर<br />‘ग़ाफ़िल’ का व्यापार ले गये! </b> <br />वाऽह ! क्या बात है !<br />देखने-मिलने में आते रहते हैं पाठ्यक्रमों का हिस्सा बनने वाले/पुरस्कृत होते रहने वाले ऐसे अनेक तिकड़मी चिल्लर कवि ... <br /><br /><b> </b> आदरणीय <br /><b> चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’जी </b><br /><b> </b> आप हमेशा स्तरीय लिखते हैं ... <br /><b> </b> आपको पढ़ने की मन से इच्छा रहती है ...<br /><b> </b> <br /><b>नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं सहित… </b> <br />राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-6549407715009559252012-12-25T22:43:06.633+05:302012-12-25T22:43:06.633+05:30कवि की सोच का कोई पार नहीं है
बहुत खूब कवि की सोच का कोई पार नहीं है <br /><br />बहुत खूब Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-30390361358158386942012-12-25T21:29:25.631+05:302012-12-25T21:29:25.631+05:30एक गद्य का तार-तार कर,
उसपर एंटर मार-मारकर,
सकारात...एक गद्य का तार-तार कर,<br />उसपर एंटर मार-मारकर,<br />सकारात्मक कविता कहकर<br />वाह वाह सरकार ले गये!<br /> हाहाहा बहुत बढ़िया कटाक्ष कितने रोचक अंदाज में ,जैसे आज मोर्डन आर्ट होती है उसी तरह की कवितायें होती है समझ ना आये तो मोर्डन कविता कह दो बोलो कैसी रही सलाह ??Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-896228216551456906.post-20888557820219085332012-12-25T20:55:43.170+05:302012-12-25T20:55:43.170+05:30आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा कल बुधवार के चर्चा...आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा कल <a href="http://charchamanch.blogspot.com/2012/12/11.html" rel="nofollow"><b>बुधवार के चर्चा मंच</b></a> पर भी है | जरूर पधारें |<br />सूचनार्थ |Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12634209491911135236noreply@blogger.com