गालोबीबी जो दिखी, तरुन नयन की भ्रान्ति।
रहकर परदूसित जगह, बिगड़ गई मुँह कान्ति॥
बिगड़ि गई मुँह कान्ति, रहा ना कहीं ठिकाना;
घरमा हो या घर के बाहर, हुआ बेगाना।
ग़ाफ़िल कैसे समझाए की क्या है ख़ूबी?
मुँह मा दोहरा भरा कहैं सब गालोबीबी॥
रहकर परदूसित जगह, बिगड़ गई मुँह कान्ति॥
बिगड़ि गई मुँह कान्ति, रहा ना कहीं ठिकाना;
घरमा हो या घर के बाहर, हुआ बेगाना।
ग़ाफ़िल कैसे समझाए की क्या है ख़ूबी?
मुँह मा दोहरा भरा कहैं सब गालोबीबी॥
(इस रचना का उत्स, मेरे एक अभिन्न मित्र, जो कभी अपने को 'तरुन' कहलाने की मशक्कत में थे, का मेरे लिए इस सवाल कि- 'तुम बोलते क्यों नहीं! गालोबीबी हुई है क्या?' में निहित है। गालोबीबी= मेरे शुभचिन्तक सुधीजनो गालोबीबी एक प्रकार का गले का रोग होता है जो इन्फैक्शन से हो जाता है। इसमें गले पर सूजन आ जाती है आदमी न तो खा सकता है और न ही बोल सकता है। फीवर भी हो जाता है और आदमी कमजोरतर होता जाता है। यह वायरल बीमारी है जिसके लिए हार्ड एंटीबॉयोटिक लेनी पड़ती है। तब जाकर बहुत झेलाने के बाद कहीं ठीक होता है। मेरे अंचल में इस बीमारी को गालोबीबी कहा जाता है हो सकता है अन्यत्र इसे और कुछ कहा जाता हो। इसकी व्याख्या इस लिए करनी पड़ रही है कि हमारे बहुत से शुभचिन्तक इसके बारे में जानते ही नहीं या जानते भी हों तो किसी और नाम से।)
-ग़ाफ़िल