Tuesday, April 20, 2021

पर ये ग़फ़लत मेरी हक़ीक़त है (2122 1212 22)

फ़िक़्रा ये क्या के शानो शौकत है
ये भी इक रंग है ज़ुरूरत है

लोग कहते हैं लत बुरी है यह
पर ये ग़फ़लत मेरी हक़ीक़त है

वर्ना कह देता, हूँ अभी मश्गूल
आप आए हो मुझको फ़ुर्सत है

है नज़ारों में वैसे क्या क्या पर
मेरी नज़रों को आपकी लत है

बिक तो सकता है कोई भी इंसान
इक तबस्सुम ही उसकी क़ीमत है

वो जो दर्या बहा रहा आँसू
शायद उसको मेरी ज़ुरूरत है

हुस्न आदत है इश्क़ की यानी
हुस्न यार इश्क़ की बदौलत है

हो चुकी है ग़ज़ल पर इसमें फ़क़त
एक ग़ाफ़िल और उसकी ग़फ़लत है

-‘ग़ाफ़िल’

Monday, April 12, 2021

आपका हो जाऊँगा (2122 2122 2122 212)

आपकी ख़्वाहिश है तो गोया फ़ना हो जाऊँगा
ऐसे भी पर देखिएगा आपका हो जाऊँगा

आपने ठुकरा दिया इज़्हारे उल्फ़त मेरा गर
क्या बताऊँ आपको मैं फिर के क्या हो जाऊँगा

मंज़िले उल्फ़त की जानिब मेरे हमदम आपके
पावँ तो आगे बढ़ें मैं रास्ता हो जाऊँगा

आपकी हो जाए मेरी सू निगाहे लुत्फ़ भर
देख लेना फ़र्श से मैं अर्श का हो जाऊँगा

ग़ाफ़िल और आशिक़ मिजाज़ ऐसा है गो मुश्किल मगर
याद करिए आप! था मैंने कहा हो जाऊँगा

-‘ग़ाफ़िल’