और अब संदेश मत भिजवाइए
लानी हो तशरीफ़ जब भी, लाइए
हैं नहीं कम ज़िन्दगी में पेचो ख़म
आप भी थोड़ा बहुत उलझाइए
तारी हो उल्फ़त का अब कुछ यूँ सुरूर
ख़ुद बहकिए मुझको भी बहकाइए
कौन है जो कह दिया दौराने इश्क़
आप भी मेरी तरह शर्माइए
आपसे उम्मीद गो ऐसी न थी
ख़ैर फिर भी जा रहे तो जाइए
दूध के धोए नहीं हैं आप भी
देख मुझको मुँह न यूँ बिचकाइए
मेरे जिस्मो जान से ग़ाफ़िल जी आज
लीजिए वह लुत्फ़ जो ले पाइए
-‘ग़ाफ़िल’
लानी हो तशरीफ़ जब भी, लाइए
हैं नहीं कम ज़िन्दगी में पेचो ख़म
आप भी थोड़ा बहुत उलझाइए
तारी हो उल्फ़त का अब कुछ यूँ सुरूर
ख़ुद बहकिए मुझको भी बहकाइए
कौन है जो कह दिया दौराने इश्क़
आप भी मेरी तरह शर्माइए
आपसे उम्मीद गो ऐसी न थी
ख़ैर फिर भी जा रहे तो जाइए
दूध के धोए नहीं हैं आप भी
देख मुझको मुँह न यूँ बिचकाइए
मेरे जिस्मो जान से ग़ाफ़िल जी आज
लीजिए वह लुत्फ़ जो ले पाइए
-‘ग़ाफ़िल’