जान ही जाएँगे आप इक दिन कहानी की वजह
है क़शिश कोई तो दर्या के रवानी की वजह
मौत पर अपनी भला क्यूँ उसका मानें इख़्तियार
शै नहीं है जो हमारी ज़िन्दगानी की वजह
हर कोई मिह्मान रखता है ख़ुदा का मर्तबा
हिन्द वालों से न पूछो मेज़बानी की वजह
कैसे बन सकता है कोई एक अहले मुल्क़ के
भूखे नंगों बेकसों के दाना पानी की वजह
हूँ मुसन्निफ़ तो क़सीदाकार पर हरगिज़ नहीं
फिर कहो क्या है तुम्हारी मिह्रबानी की वजह
होके ग़ाफ़िल देख लेना यह क़रिश्माई फ़ितूर
कोई ऊला किस तरह बनता है सानी की वजह
-‘ग़ाफ़िल’
है क़शिश कोई तो दर्या के रवानी की वजह
मौत पर अपनी भला क्यूँ उसका मानें इख़्तियार
शै नहीं है जो हमारी ज़िन्दगानी की वजह
हर कोई मिह्मान रखता है ख़ुदा का मर्तबा
हिन्द वालों से न पूछो मेज़बानी की वजह
कैसे बन सकता है कोई एक अहले मुल्क़ के
भूखे नंगों बेकसों के दाना पानी की वजह
हूँ मुसन्निफ़ तो क़सीदाकार पर हरगिज़ नहीं
फिर कहो क्या है तुम्हारी मिह्रबानी की वजह
होके ग़ाफ़िल देख लेना यह क़रिश्माई फ़ितूर
कोई ऊला किस तरह बनता है सानी की वजह
-‘ग़ाफ़िल’