Tuesday, July 28, 2020

अर्से के बाद आए वो देखो तो क्या लिए

कुछ लानतें मलामतें शिक़्वा गिला लिए
अर्से के बाद आए वो देखो तो क्या लिए
फ़िलहाल इश्क़ वाली हरारत रहे बनी
कम तो न था सबब ये, जो हम जी जला लिए

-‘ग़ाफ़िल’

Monday, July 27, 2020

अपने दम पे नाम कमाना होता है

जी का दुखना मैंने माना होता है
पर सच है क्या प्यार दीवाना होता है

दिखता नहीं है चाँद आजकल अब उसका
किस कूचे में आना जाना होता है

अक़्सर पाता हूँ मैं, राहे उल्फ़त में
उसका बोझ और अपना शाना होता है

इश्क़ में शिक़्वे बाइस हैं रुस्वाई के
अपने दम पे नाम कमाना होता है

ग़ाफ़िल और अब कितनी आवारागर्दी?
अब्रों का भी एक ठिकाना होता है

-‘ग़ाफ़िल’

Sunday, July 26, 2020

ज़िन्दगी वैसे फ़साना है हुज़ूर

आप क्या आपको जाना है हुज़ूर!
मेरे आगे तो ज़माना है हुज़ूर!!

लुत्फ़ ले पाएँ न ये आप पे है!
ज़िन्दगी वैसे फ़साना है हुज़ूर!!

ये नहीं हुस्न है निखरेगा कुछ और
इश्क़ जितना ही पुराना है हुज़ूर

एक क़त्अ-

जाने दे आऊँगा फिर ये कहना
जी बुझाने का बहाना है हुज़ूर
ज़िन्दगी ऐसे नहीं चलती है पर
गो हैं सच आप ये माना है हुज़ूर

गुल ही क्या आज तो ये पूरा चमन
एक ग़ाफ़िल का दीवाना है हुज़ूर

-‘ग़ाफ़िल’

Wednesday, July 22, 2020

हाँ मगर वह आप सा प्यारा लगे

आप औरों को न जाने क्या लगे
पर हमें तो वाक़ई सपना लगे

हो कोई भी इश्क़ तो कर लेंगे हम
हाँ मगर वह आप सा प्यारा लगे

ज़ह्र से निभ जाती हम आबे हयात
क्या करें जब ज़ह्र सा कड़वा लगे

वर्ना हो कुछ भी हमें परवाह क्या
गुल है तो फिर आपके जैसा लगे

या लगे पूरा का पूरा जिम्मेदार
या तो ग़ाफ़िल पूरा आवारा लगे

-‘ग़ाफ़िल’

Tuesday, July 21, 2020

क्या ज़ुरूरी है वो हमारे हों

चाह ये है जो चाँद तारे हों
सारे के सारे बस हमारे हों

जाग जाओगे छोड़ जाएँगे
ख़्वाब कितने भले ही प्यारे हों

अब ज़रा भी न टाला जाएगा
आज उल्फ़त के वारे न्यारे हों

क्या लुभाएगा उनको शब का शबाब
दर्द में दिन न जो गुज़ारे हों

हम हुए उनके हमको होना था
क्या ज़ुरूरी है वो हमारे हों

-‘ग़ाफ़िल’

Saturday, July 18, 2020

मेरे ग़ाफ़िल से मुझे प्यार हुआ जाता है

तू तो अब ख़्वाबों के भी पार हुआ जाता है
बोल क्या ऐसे भी लाचार हुआ जाता है

सोचा है जबसे के अब कुछ तो हो शिक़्वा तुझसे
जी मेरा मुझसे ही दो चार हुआ जाता है

उम्र कैद ऐसे तो हो पाई नहीं है ये कसक
हाँ तेरे इश्क़ में अब दार हुआ जाता है

होश गुम तेरे हैं इज़्हारे मुहब्बत पे मेरे
देखता हूँ के तू बीमार हुआ जाता है

तू भी कह लेता मगर कह न सका यार के अब
मेरे ग़ाफ़िल से मुझे प्यार हुआ जाता है

-‘ग़ाफ़िल’