ग़ैरों से तेरे तअल्लुक़ का असर क्या होगा
होगा जो होगा मेरी जान को पर क्या होगा
चारागर रोक भी पाएगा निकलती जाँ तू
लाख है लेकिन अभी तेरा हुनर क्या होगा
एक पौधे पे रहे छाँव अगर पीपल की
सोचना ये है के वह तिफ़्ल शजर क्या होगा
तू ही गो शह्र में क़ातिल है मेरी जान मगर
क़त्ल करने को मेरा तेरा जिगर क्या होगा
फिर भी जी लेंगे हम उश्शाक़ दीवानेपन में
ग़ाफ़िल इन हुस्नफ़रोशों का मगर क्या होगा
-‘ग़ाफ़िल’
होगा जो होगा मेरी जान को पर क्या होगा
चारागर रोक भी पाएगा निकलती जाँ तू
लाख है लेकिन अभी तेरा हुनर क्या होगा
एक पौधे पे रहे छाँव अगर पीपल की
सोचना ये है के वह तिफ़्ल शजर क्या होगा
तू ही गो शह्र में क़ातिल है मेरी जान मगर
क़त्ल करने को मेरा तेरा जिगर क्या होगा
फिर भी जी लेंगे हम उश्शाक़ दीवानेपन में
ग़ाफ़िल इन हुस्नफ़रोशों का मगर क्या होगा
-‘ग़ाफ़िल’