Friday, November 30, 2018
Monday, November 26, 2018
क्या करूँ तारीफ़ मैं कुछ और हुश्ने यार की
चश्म तो हैं ग़ैर जानिब ग़ैर जानिब नज़रे लुत्फ़
हमको तो अच्छी लगी ये भी अदा सरकार की
क़ुव्वते-शोख़ी-ए-जाना है के जाँ तक लूट ले
क्या करूँ तारीफ़ मैं कुछ और हुश्ने यार की
-‘ग़ाफ़िल’
हमको तो अच्छी लगी ये भी अदा सरकार की
क़ुव्वते-शोख़ी-ए-जाना है के जाँ तक लूट ले
क्या करूँ तारीफ़ मैं कुछ और हुश्ने यार की
-‘ग़ाफ़िल’
न तू बेख़बर था न मैं बेख़बर
किया तो था मैंने फ़क़त इश्क़ पर
हुआ जा रहा मैकशी सा असर
चला क्यूँ तू मेरी कही मानकर
भले मैं कहा है सुहाना सफ़र
था होना तो ले हो गया इश्क़ गो
न तू बेख़बर था न मैं बेख़बर
सफ़र में तू दिन भर था जिस राह पर
उसी राह पर क्यूँ चला रात भर
रहे ज़ीस्त में एक तो साथ दे
भले कोई ग़ाफ़िल ही हो हमसफ़र
-‘ग़ाफ़िल’
हुआ जा रहा मैकशी सा असर
चला क्यूँ तू मेरी कही मानकर
भले मैं कहा है सुहाना सफ़र
था होना तो ले हो गया इश्क़ गो
न तू बेख़बर था न मैं बेख़बर
सफ़र में तू दिन भर था जिस राह पर
उसी राह पर क्यूँ चला रात भर
रहे ज़ीस्त में एक तो साथ दे
भले कोई ग़ाफ़िल ही हो हमसफ़र
-‘ग़ाफ़िल’
Tuesday, November 20, 2018
कुछ अलहदा शे’र-
1.
आए काश ऐसा कोई वक़्त के जब
आपका दिल मेरा ठिकाना हो
2.
भर चुके ख़ार से अपना दामन
बात अब आओ करें फूलों की
3.
फिर भी न भड़की आतिशे उल्फ़त किसी तरफ़
गोया हर एक सिम्त मज़े की हवा भी थी
4.
मुस्कुरा भी ले कभी लोग कहे
मुस्कुराया तो क़यामत आई
5.
दुनिया भर के शिक़्वे मेरे ही सर क्यूँ
आप भी तो यादों में जब तब आते हैं
6.
आई तो मुझको भी पर आई गई जैसी ही कुछ
हिज्र में किसको भला नींद सुहानी आई
7.
संग है इतना तराशोगे अगर
ये भी इक दिन देवता हो जाएगा
8.
जो रूठे हों उनको मना भी लें पर जो
तग़ाफ़ुल करें कैसे उनको मनाएँ
9.
पल में पानी हैं पल में हैं मोती
आँसुओं की अजब कहानी है
-‘ग़ाफ़िल’
आए काश ऐसा कोई वक़्त के जब
आपका दिल मेरा ठिकाना हो
2.
भर चुके ख़ार से अपना दामन
बात अब आओ करें फूलों की
3.
फिर भी न भड़की आतिशे उल्फ़त किसी तरफ़
गोया हर एक सिम्त मज़े की हवा भी थी
4.
मुस्कुरा भी ले कभी लोग कहे
मुस्कुराया तो क़यामत आई
5.
दुनिया भर के शिक़्वे मेरे ही सर क्यूँ
आप भी तो यादों में जब तब आते हैं
6.
आई तो मुझको भी पर आई गई जैसी ही कुछ
हिज्र में किसको भला नींद सुहानी आई
7.
संग है इतना तराशोगे अगर
ये भी इक दिन देवता हो जाएगा
8.
जो रूठे हों उनको मना भी लें पर जो
तग़ाफ़ुल करें कैसे उनको मनाएँ
9.
पल में पानी हैं पल में हैं मोती
आँसुओं की अजब कहानी है
-‘ग़ाफ़िल’
Friday, November 16, 2018
ख़ुद में पैदा ज़रा आदमीयत करें
जी से करके जुदा मेरी फ़ुर्सत करें
आप इसके सिवा और कुछ मत करें
ये भी कहने में है लाज़ आती के हम
ख़ुद में पैदा ज़रा आदमीयत करें
इश्क़ आसान है या कठिन है बहुत
इल्म हो जाएगा थोड़ी हिम्मत करें
यादों के हैं धनी आपको भूलकर
क्यूँ हम आबाद फिर अपनी ग़ुरबत करें
देखें हम भी तो ग़ाफ़िल जी हमको भी आप
इक दफा भूल जाने की ज़ुर्रत करें
-‘ग़ाफ़िल’
आप इसके सिवा और कुछ मत करें
ये भी कहने में है लाज़ आती के हम
ख़ुद में पैदा ज़रा आदमीयत करें
इश्क़ आसान है या कठिन है बहुत
इल्म हो जाएगा थोड़ी हिम्मत करें
यादों के हैं धनी आपको भूलकर
क्यूँ हम आबाद फिर अपनी ग़ुरबत करें
देखें हम भी तो ग़ाफ़िल जी हमको भी आप
इक दफा भूल जाने की ज़ुर्रत करें
-‘ग़ाफ़िल’
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