इल्ज़ाम हुस्ने यार पे लगने नहीं दिया
दिल चाक हो गया पै तड़पने नहीं दिया
ठोकर लगी हज़ार मगर देखिए ज़ुनूँ
मैंने क़दम ज़रा भी बहकने नहीं दिया
सरका अगर तो सरका है मेरा वज़ूद ही
दामन हया का मैंने सरकने नहीं दिया
जलने को था मैं आतिशे हिज़्राँ में बेतरह
उम्मीदे वस्ले यार ने जलने नहीं दिया
वो इस तरह से जमके तग़ाफ़ुल रहा था कर
तीरे नज़र भी जी में उतरने नहीं दिया
ग़ाफ़िल को फ़िक़्र थी न कहीं आप डूब जायँ
और आपने उसे ही सँभलने नहीं दिया
-‘ग़ाफ़िल’
दिल चाक हो गया पै तड़पने नहीं दिया
ठोकर लगी हज़ार मगर देखिए ज़ुनूँ
मैंने क़दम ज़रा भी बहकने नहीं दिया
सरका अगर तो सरका है मेरा वज़ूद ही
दामन हया का मैंने सरकने नहीं दिया
जलने को था मैं आतिशे हिज़्राँ में बेतरह
उम्मीदे वस्ले यार ने जलने नहीं दिया
वो इस तरह से जमके तग़ाफ़ुल रहा था कर
तीरे नज़र भी जी में उतरने नहीं दिया
ग़ाफ़िल को फ़िक़्र थी न कहीं आप डूब जायँ
और आपने उसे ही सँभलने नहीं दिया
-‘ग़ाफ़िल’