दिल से तस्वीर मिटायी न गयी
याद तेरी थी भुलायी न गयी
ग़ुफ़्तग़ू होती मज़ेदार मगर
बात बाक़द्र चलायी न गयी
खोजता आज भी रहता हूँ जिसे
वह ख़ुशी हमसे तो पायी न गयी
खा लिया मैंने क़फ़स की भी हवा
क़स्म गोया तेरी खायी न गयी
बढ़के पल्लू को पकड़ लेने की
रस्म ग़ाफ़िल से निभायी न गयी
-‘ग़ाफ़िल’
याद तेरी थी भुलायी न गयी
ग़ुफ़्तग़ू होती मज़ेदार मगर
बात बाक़द्र चलायी न गयी
खोजता आज भी रहता हूँ जिसे
वह ख़ुशी हमसे तो पायी न गयी
खा लिया मैंने क़फ़स की भी हवा
क़स्म गोया तेरी खायी न गयी
बढ़के पल्लू को पकड़ लेने की
रस्म ग़ाफ़िल से निभायी न गयी
-‘ग़ाफ़िल’