मन का घोड़ा बाँध रखा था छोड़ा नहीं मचलने को
पानी सर से ऊपर है अब मौका नहीं सँभलने को
चाँद रहा है मिसाल हरदम रुखे-माहपारावों का
हम हैं के आमादा उसको पावों तले कुचलने को
आता भी है जाता भी है दुनिया का हर एक बसर
भरम है तेरा लगा हुआ जो यह दस्तूर बदलने को
यह तो तेरी रह का एक पड़ाव है यार! नहीं मंजिल
हुआ बहुत आराम हो अब तैयार भी आगे चलने को
चलता रहता हूँ चलना ही फ़ित्रत है अपनी गोया
चिकनी राह बुलाए ग़ाफ़िल अपनी सिम्त फिसलने को
-‘ग़ाफ़िल’
पानी सर से ऊपर है अब मौका नहीं सँभलने को
चाँद रहा है मिसाल हरदम रुखे-माहपारावों का
हम हैं के आमादा उसको पावों तले कुचलने को
आता भी है जाता भी है दुनिया का हर एक बसर
भरम है तेरा लगा हुआ जो यह दस्तूर बदलने को
यह तो तेरी रह का एक पड़ाव है यार! नहीं मंजिल
हुआ बहुत आराम हो अब तैयार भी आगे चलने को
चलता रहता हूँ चलना ही फ़ित्रत है अपनी गोया
चिकनी राह बुलाए ग़ाफ़िल अपनी सिम्त फिसलने को
-‘ग़ाफ़िल’