Friday, June 04, 2021

ख़्वाबों में क्यूँ न आज से अक़्सर मिला करें (221 2121 1221 212)

हमको क़ुबूल है के कहा आपका करें
पर चाहिए के आप भी कुछ इस तरह करें

कर तो चुके हैं ख़ुद को हवाले हम आपके
कहिए हुज़ूर आप के हम और क्या करें

रुस्वाइयों से चाहिए हमको नहीं निजात
इतना मगर हो आप ही बाइस हुआ करें

ये हुस्नो इश्क़ के हैं अजीबोग़रीब पेंच
ऐसा है चलिए काम कोई दूसरा करें

ग़ाफ़िल इस अपने वस्ल से दुनिया को रंज़ है
ख़्वाबों में क्यूँ न आज से अक़्सर मिला करें

-‘ग़ाफ़िल’