ख़ुद का ख़ुद ही मुख़्तार बना
यूँ ग़ाफ़िल भी सरदार बना
यह दुनिया फ़ख़्र करे तुझ पर
ऐसा अपना किरदार बना
मन-मुटाव जो काट-छाँट दे
ऐसी ख़ासी तलवार बना
गुल कब तक साथ निभाएँगे
तू इक दो साथी ख़ार बना
सच है बस समझ के बाहर है
के है प्यार भी कारोबार बना
मैं ग़ाफ़िल हूँ नासमझ नहीं
जा और किसी को यार बना
-‘ग़ाफ़िल’
यूँ ग़ाफ़िल भी सरदार बना
यह दुनिया फ़ख़्र करे तुझ पर
ऐसा अपना किरदार बना
मन-मुटाव जो काट-छाँट दे
ऐसी ख़ासी तलवार बना
गुल कब तक साथ निभाएँगे
तू इक दो साथी ख़ार बना
सच है बस समझ के बाहर है
के है प्यार भी कारोबार बना
मैं ग़ाफ़िल हूँ नासमझ नहीं
जा और किसी को यार बना
-‘ग़ाफ़िल’