Wednesday, September 17, 2014

कौन पूछे है भला ग़ाफ़िल को अब इस हाल में

वो तअन्नुद आपका हमसे हमेशा बेवजह,
याद आता है बहुत तुझको गंवा देने के बाद।
कौन पूछे है भला ग़ाफ़िल को अब इस हाल में,
आरज़ू-ए-ख़ाम पे सब कुछ लुटा देने के बाद।।

(तअन्नुद=झगड़ना, लड़ाई, आरज़ू-ए-ख़ाम=वह इच्छा जो कभी पूरी न हो, कच्ची इच्छा)

-‘ग़ाफ़िल’

64 comments:

  1. जब चले थे तो नहीं सोचे थे के हो जाएगा
    हादिसा-ए-फ़ाजिअः, मंजिल को पा जाने के बाद।


    बहुत बढ़िया...

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  2. कौन पूछे है भला ग़ाफ़िल को अब इस हाल में
    आर्ज़ू-ए-ख़ाम पे सब कुछ लुटा जाने के बाद।।

    मन को आंदोलित कर गया । धन्यवाद ।

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  3. यार! हम पे आईना भी हँस दिया ना जाने क्यूँ?
    ज्यूँ ही निकले सज-संवर कर, आईनाख़ाने के बाद।

    इस ढोंग भरी ज़िन्दगी को जीने के हम आदी हो गये हैं। कितनी सहजता से आपने इसे अपनी इस ग़ज़ल में अभिव्यक्ति दी है। यह बहुत प्रभावित करती ग़ज़ल है।

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  4. aapki har ghazal me ek taajgi hoti hai.bahut umda ghazal.

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  5. अब तुम्हीं से क्या छुपाएं, सब बता जाने के बाद।
    हम कहाँ भूखे रहे, गम इतना खा जाने के बाद।।

    क़ाबिले-तारीफ ग़ज़ल, हर शेर में बेहतरीन भाव।

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  6. अम्नो-सुकूँ जाता रहा, दिल के चमन से बारहा,
    एक हंगामा है बरपा, उनके आ जाने के बाद।

    यार! हम पे आईना भी हँस दिया ना जाने क्यूँ?
    ज्यूँ ही निकले सज-संवर कर, आईनाख़ाने के बाद।

    बहुत खूबसूरत गज़ल

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  7. हम कहाँ भूखे रहे, ग़म इतना खा जाने के बाद।।
    वाह....
    बहुत खुबसूरत ग़ज़ल सर,
    सादर....

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  8. जब चले थे तो नहीं सोचे थे के हो जाएगा
    हादिसा-ए-फ़ाजिअः, मंजिल को पा जाने के बाद।

    हर शेर उम्दा....एक से बढकर एक......

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  9. बहुत सुन्दर , सार्थक रचना , सार्थक तथा प्रभावी भावाभिव्यक्ति , ब धाई

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  10. प्रस्तुति स्तुतनीय है, भावों को परनाम |
    मातु शारदे की कृपा, बनी रहे अविराम ||

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  11. अब तुम्हीं से क्या छुपाएं, सब बता जाने के बाद।
    हम कहाँ भूखे रहे, ग़म इतना खा जाने के बाद।।

    बहुत ही उम्दा ग़ज़ल...

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  12. बहुत ही शानदार और लाजबाब ...

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  13. हर शेर बेहतरीन.

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  14. जब चले थे तो नहीं सोचे थे के हो जाएगा
    हादिसा-ए-फ़ाजिअः, मंजिल को पा जाने के बाद।

    बेहतरीन, क़ाबिले-तारीफ ग़ज़ल

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  15. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है आपने!
    बेहतरीन!

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  16. जब चले थे तो नहीं सोचे थे के हो जाएगा
    हादिसा-ए-फ़ाजिअः, मंजिल को पा जाने के बाद।
    kamaal ka likha

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  17. आर्ज़ू-ए-ख़ाम पे सब कुछ लुटा, लौटा है वो
    चैन से सोया है मेरे दिल में समा जाने के बाद.

    बहुत ही उम्दा गज़ल.

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  18. वो तअन्नुद आपका हमसे हमेशा बे-वज़ह,
    याद आता है बहुत तुझको गंवा जाने के बाद।
    हर मर्तबा की तरह खूबसूरत रोशन अशआर .बधाई .

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  19. वो तअन्नुद आपका हमसे हमेशा बे-वज़ह,
    याद आता है बहुत तुझको गंवा जाने के बाद।

    बहुत ही उम्दा सर...
    सादर...

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  20. हर शेर बहुत ही शानदार और लाजबाब ...आभार...

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  21. अम्नो-सुकूँ जाता रहा, दिल के चमन से बारहा,
    एक हंगामा है बरपा, उनके आ जाने के बाद।
    क्या बात है गाफिल जी बेहद खूबसूरत गज़ल हर शेर बे मिसाल, पर ये मुहब्बत का अंदाज कमाल का है ।

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  22. आपको मेरी तरफ से नवरात्री की ढेरों शुभकामनाएं.. माता सबों को खुश और आबाद रखे..
    जय माता दी..

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  23. आपको सपरिवार
    नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  24. यार! हम पे आईना भी हँस दिया ना जाने क्यूँ?
    ज्यूँ ही निकले सज-संवर कर, आईनाख़ाने के बाद।
    बहुत खूब !नित नया अंदाज़ .गाफ़िल साहब का !

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  25. सर, आपको पढना वाकई शुकून देने वाला है
    बहुत सुंदर

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  26. बहुत सुन्दर भावपूर्ण गजल |बधाई |इस पावन पर्व पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
    आशा

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  27. नवरात्रि पर्व की शुभकामनाएं.

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  28. वो तअन्नुद आपका हमसे हमेशा बे-वज़ह,
    याद आता है बहुत तुझको गंवा जाने के बाद

    बहुत खूब, गाफिल साहिब.
    पूरी ग़ज़ल खूब है.

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  29. बहुत ही शानदार ग़ज़ल है. कमाल के उर्दू लफ्ज बयां करते है आप. मुबारक.

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  30. शुक्रिया गाफ़िल साहब !

    कौन पूछे है भला ग़ाफ़िल को अब इस हाल में
    आर्ज़ू-ए-ख़ाम पे सब कुछ लुटा जाने के बाद।।

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  31. सुंदर भाव..खूबसूरत अभिव्यक्ति

    नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !

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  32. मिश्र गाफिल जी ...सुन्दर भाव प्यारी रचना गजब का रंग दिया मन को छू गयी ...ये अमन और शुकून काश शीघ्र ....
    ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं .....जय माता दी आप सपरिवार को ढेर सारी शुभ कामनाएं नवरात्रि पर -माँ दुर्गा असीम सुख शांति प्रदान करें
    थोडा व्यस्तता वश कम मिल पा रहे है सबसे क्षमा करना
    भ्रमर ५


    अम्नो-सुकूँ जाता रहा, दिल के चमन से बारहा,
    एक हंगामा है बरपा, उनके आ जाने के बाद।

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  33. खूबसूरत ग़ज़ल ....हर शेर उम्दा

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  34. बच्चन जी की रुबाई पे रुबाई बहुत भाई .लालायित अधरों से जिसने ......हर्ष विकंपित कर से जिसने हां न छुआ मधु का प्याला ,दर्द नशा है इस मदिरा का विगत स्मृतियाँ साकी हैं पीड़ा में आनंद जिसे हो आये मेरी मधुशाला .

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  35. विजयादशमी पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं।

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  36. बहुत खूब हर शेर ..बेहद खूबसूरत ....खास कर ये वाला .......
    जब चले थे तो नहीं सोचे थे के हो जाएगा
    हादिसा-ए-फ़ाजिअः, मंजिल को पा जाने के बाद।






    वो जहां भी आज तेरे ज़िक्र पर मजबूर है
    जो चाँद सितारों सी भी कोसो दूर है ||

    भूख प्यास सब मिट जाती है
    किसी को अपना बनाने के बाद ||...........अनु

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  37. हम कहाँ भूखे रहे, गम इतना खा जाने के बाद।।

    बहुत खूब, सुन्दर भावपूर्ण गजल, गाफिल साहिब.
    पूरी ग़ज़ल खूब है. हर शेर बे-मिसाल है ।

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  38. कौन पूछे है भला ग़ाफ़िल को अब इस हाल में
    आर्ज़ू-ए-ख़ाम पे सब कुछ लुटा जाने के बाद।।
    शुक्रिया गाफ़िल साहब आपकी खूब सूरत दस्तक के लिए .इस बेहतरीन रचना का आस्वाद करवाने के लिए .

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  39. सुंदर प्रस्तुति!

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  40. कौन पूछे है भला ग़ाफ़िल को अब इस हाल में
    आर्ज़ू-ए-ख़ाम पे सब कुछ लुटा जाने के बाद।।
    हमें तो यह शेर अच्छा लगा , मुबारक हो

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  41. Very nice Ghazal Sir..
    What the words placement..Outstanding..

    Regards..!

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  42. दिवाली मुबारक हो !

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  43. Nice post .

    Bloggers Meet Weekly 14 ke liye yh rachna pasand ki gayee.

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  44. बहुत ही बढ़िया सर मजा आ गया vaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaah

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