Saturday, January 08, 2022

चीज़ कोई भी जले यार उजाला होगा (2122 1122 1122 22)

सोचता क्यूँ है के अब आगे भला क्या होगा
सोच यह बात के जो होगा सो अच्छा होगा

जी जले, चाँद जले, शम्स* जले या दीपक
चीज़ कोई भी जले यार उजाला होगा

तेरा सामान जिसे दिल का लक़ब** हासिल है
हो कहीं पर भी मगर होगा तो अपना होगा

हमको मालूम है हमको भी करेंगे सब याद
तब के जब कोसों तलक कुछ न हमारा होगा

एक तिनके का सहारा है बहुत ग़ाफ़िल जी
बात पर ये है के क्या बह्र*** में तिनका होगा

(*सूरज, **लोगों द्वारा प्रदत्त नाम, ***समन्दर)

-‘ग़ाफ़िल’

8 comments:

  1. वाह उम्दा ग़ज़ल

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