अगर देखिएगा तो चेहरे बहुत हैं
लगे क्यूँ मगर हम अकेले बहुत हैं
चलो इश्क़ की राह में चलके हमको
न मंज़िल मिली तो भी पाये बहुत हैं
ये माना के है ख़ूबसूरत जवानी
मगर पा इसी में फिसलते बहुत हैं
मज़ेदार है ज़िन्दगी क्यूँ के इससे
न हासिल हो कुछ पर तमाशे बहुत हैं
ये सच है के उल्फ़त निभाते हुए हम
उजालों में ही यार भटके बहुत हैं
रहे इश्क़ वैसे भी पुरख़ार है और
गज़ब यह के पावों में छाले बहुत हैं
उन्हें बैर था या मुसाफ़ात हमसे
वो जानिब हमारी जो आए बहुत हैं
भला ये क्या तुह्मत के जग जग के ता'शब
न जाने क्या ग़ाफ़िल जी लिखते बहुत हैं
मुसाफ़ात=दोस्ती
-‘ग़ाफ़िल’
लगे क्यूँ मगर हम अकेले बहुत हैं
चलो इश्क़ की राह में चलके हमको
न मंज़िल मिली तो भी पाये बहुत हैं
ये माना के है ख़ूबसूरत जवानी
मगर पा इसी में फिसलते बहुत हैं
मज़ेदार है ज़िन्दगी क्यूँ के इससे
न हासिल हो कुछ पर तमाशे बहुत हैं
ये सच है के उल्फ़त निभाते हुए हम
उजालों में ही यार भटके बहुत हैं
रहे इश्क़ वैसे भी पुरख़ार है और
गज़ब यह के पावों में छाले बहुत हैं
उन्हें बैर था या मुसाफ़ात हमसे
वो जानिब हमारी जो आए बहुत हैं
भला ये क्या तुह्मत के जग जग के ता'शब
न जाने क्या ग़ाफ़िल जी लिखते बहुत हैं
मुसाफ़ात=दोस्ती
-‘ग़ाफ़िल’