सोचता क्यूँ है के अब आगे भला क्या होगा
सोच यह बात के जो होगा सो अच्छा होगा
सोच यह बात के जो होगा सो अच्छा होगा
जी जले, चाँद जले, शम्स* जले या दीपक
चीज़ कोई भी जले यार उजाला होगा
तेरा सामान जिसे दिल का लक़ब** हासिल है
हो कहीं पर भी मगर होगा तो अपना होगा
हमको मालूम है हमको भी करेंगे सब याद
तब के जब कोसों तलक कुछ न हमारा होगा
एक तिनके का सहारा है बहुत ग़ाफ़िल जी
बात पर ये है के क्या बह्र*** में तिनका होगा
(*सूरज, **लोगों द्वारा प्रदत्त नाम, ***समन्दर)
-‘ग़ाफ़िल’