अब हमें भी हक़ जताना चाहिए।
अब तो उनको आजमाना चाहिए॥
कब तलक होकर जमाने के रहें,
अब हमें ख़ुद का जमाना चाहिए।
है दीवाना चश्म का ख़ुशफ़ह्म के
चश्म को भी अब दीवाना चाहिए।
दिल है नाज़ुक टूटता है बेखटक,
भीड़ में उसको बचाना चाहिए।
उनके आने का बहाना कुछ न था,
उनको जाने का बहाना चाहिए।
अब तो शायद हो चुकी पूरी ग़ज़ल,
यार ग़ाफ़िल! अब तो जाना चाहिए॥
हाँ नहीं तो!
कमेंट बाई फ़ेसबुक आई.डी.
अब तो उनको आजमाना चाहिए॥
कब तलक होकर जमाने के रहें,
अब हमें ख़ुद का जमाना चाहिए।
है दीवाना चश्म का ख़ुशफ़ह्म के
चश्म को भी अब दीवाना चाहिए।
दिल है नाज़ुक टूटता है बेखटक,
भीड़ में उसको बचाना चाहिए।
उनके आने का बहाना कुछ न था,
उनको जाने का बहाना चाहिए।
अब तो शायद हो चुकी पूरी ग़ज़ल,
यार ग़ाफ़िल! अब तो जाना चाहिए॥
हाँ नहीं तो!
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