Saturday, July 12, 2025

रुख़ से लेकिन ख़ुशी नहीं जाती

सोच यह बेतुकी नहीं जाती

के मेरी ज़िन्दगी नहीं जाती


कोई भी कैफ़ियत हो लेकिन उधर

मेरी तबियत कभी नहीं जाती


बात निकली कहीं से पर मुझतक

आयी जो भी वही नहीं जाती


मेरे किरदार पर हो कितना भी बोझ

रुख़ से लेकिन ख़ुशी नहीं जाती


गो है जी में ही मेरे ग़ाफ़िल तू

फिर भी तेरी कमी नहीं जाती


-‘ग़ाफ़िल’