सोच यह बेतुकी नहीं जाती
के मेरी ज़िन्दगी नहीं जाती
कोई भी कैफ़ियत हो लेकिन उधर
मेरी तबियत कभी नहीं जाती
बात निकली कहीं से पर मुझतक
आयी जो भी वही नहीं जाती
मेरे किरदार पर हो कितना भी बोझ
रुख़ से लेकिन ख़ुशी नहीं जाती
गो है जी में ही मेरे ग़ाफ़िल तू
फिर भी तेरी कमी नहीं जाती
-‘ग़ाफ़िल’