पुस्तकालय-कार्यालयी समस्याओँ से सन्दर्भित प्रस्तुत रचना, सीबी बाबू का 'ग़ाफ़िल' होने से पूर्व की है।
रचना-
बाबू सीबी व्यथित मन, करै किताबी बाँट।
सीत-सरद, गरमी-गरम, मिला पत्थरी पाट॥
मिला पत्थरी पाट, पूर्णत: धूल-धूसरित;
स्वसन गर्द-परिपूर्ण, बाल राखी से विलसित।
उदासीन अफ़सर, हो गर्दा कैसे काबू;
सिर धुनता पछिताय, बेचारा सीबी बाबू॥
सीत-सरद, गरमी-गरम, मिला पत्थरी पाट॥
मिला पत्थरी पाट, पूर्णत: धूल-धूसरित;
स्वसन गर्द-परिपूर्ण, बाल राखी से विलसित।
उदासीन अफ़सर, हो गर्दा कैसे काबू;
सिर धुनता पछिताय, बेचारा सीबी बाबू॥
-ghafil
क्या बेचारगी है।
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