Friday, November 23, 2012

शहर को जलते देखा

हुस्न को आज सरे राह मचलते देखा
एक शोला सा उठा शह्र को जलते देखा

-‘ग़ाफ़िल’

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4 comments:

  1. बढिया जानकारी

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  2. वाह सर वाह क्या बात है उम्दा, लाजवाब
    सादर अरुन शर्मा
    www.arunsblog.in

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  3. बहुत सुन्दर चित्र और जो कहा |
    आशा

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