Saturday, July 02, 2011

चाँदनी भी जलाया करती है

यूँ शबो-रोज़ आया करती है,
याद उसकी रुलाया करती है।
वो मुसाफ़िर हूँ मैं जिसे अक्सर;
चाँदनी भी जलाया करती है।।
                                                       -ग़ाफिल

30 comments:

  1. मैंने भी आह का असर देखा,
    एक भूचाल सा अक्सर देखा।

    जी,गाफिल जी,आह में बड़ा असर होता ही.किसी का एक शेर याद आ रहा है.शेर यूँ है:-
    मेरी आह का तुम असर देख लेना.
    वो आयेंगे थामे जिगर देख लेना.

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  2. मैंने भी आह का असर देखा,
    एक भूचाल सा अक्सर देखा।
    और देखा कि आह इक पल में;
    सल्तनतें मिटाया करती है।
    .....bahut hi badhiyaa

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  3. बहुत ख़ूबसूरत नज़्म।

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  4. वो मुसाफ़िर हूँ मैं जिसे अक्सर;
    चाँदनी भी जलाया करती है।।

    बहुत खूबसूरत रचना ...

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  5. जब सरे-शाम अदा-ए-खंज़र;
    शोख चश्मी दिखाया करती है।

    तब तो

    चाँदनी भी जलाया करती है।।

    सही है भाई ||

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  6. मेरे सपनों ने नहीं साथ दिया,
    मेरे अपनो ने नहीं हाथ दिया।
    दिल में रहकर ही तमन्ना-ए-दिल;
    मुझको हरदम सताया करती है।।
    --
    बहुत सुन्दर भावों के साथ सजा-सँवरा हुआ गीत!

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  7. दिल में रहकर ही तमन्ना-ए-दिल;
    मुझको हरदम सताया करती है।।

    sahi hai tamannaye jab tak puri nahi hoti, jalaya karti hain,
    magar sach hai yahi bhi,
    ki tamanna puri hone par uska matwa bhi kya raha jata hai....

    bachchan sahab ne sahi kaha tha..."mazaa nahi paa jane me jo hai paane ke armaano me"..

    khoobsoorat abhivyakti..

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  8. बेहतरीन...सुन्दर अभिव्यक्ति

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  9. ग़ाफ़िल अब सैफ़ का भी करना क्या,
    फ़ज़ूल ग़ैब का भी मरना क्या।
    beautiful Gazal

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  10. मेरे सपनों ने नहीं साथ दिया,
    मेरे अपनो ने नहीं हाथ दिया।
    दिल में रहकर ही तमन्ना-ए-दिल;
    मुझको हरदम सताया करती है।।

    bahut sunder abhivyakti....

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  11. यूँ शबो-रोज़ आया करती है,
    याद उसकी रुलाया करती है।
    वो मुसाफ़िर हूँ मैं जिसे अक्सर;
    चाँदनी भी जलाया करती है।।
    बहोत खूब.....

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  12. मैंने भी आह का असर देखा,
    एक भूचाल सा अक्सर देखा।
    और देखा कि आह इक पल में;
    सल्तनतें मिटाया करती है

    Khoob.... Sanvedansheel bhav

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  13. खूबसूरत गजल , बधाई

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  14. har line ek- se- badhkar ek.....

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  15. बहुत ही सुन्दर गज़ल.

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  16. बहुत उम्दा रचना है सर, आनंद आ गया पढ़कर...
    सादर...

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  17. वाह!! बेहतरीन रचना.

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  18. मैंने भी आह का असर देखा,
    एक भूचाल सा अक्सर देखा।
    और देखा कि आह इक पल में,
    सल्तनतें मिटाया करती है।

    बहुत ख़ूब ग़ाफिल साहब।
    अच्छे भाव , सुंदर शब्द।

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  19. सभी मुक्तक बहुत सुन्दर...अर्थपूर्ण
    सीधे दिल में उतरती हैं पंक्तियाँ.....

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  20. गाफिल जी,
    सपने तो सपने होते हैं,
    ये तो कब अपने होते हैं.
    सच में,आपकी अभिव्यक्ति अत्यंत प्रभाव शाली है.
    धन्यवाद.
    आनन्द विश्वास
    अहमदाबाद.

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  21. मेरे सपनों ने नहीं साथ दिया,
    मेरे अपनो ने नहीं हाथ दिया।
    दिल में रहकर ही तमन्ना-ए-दिल;
    मुझको हरदम सताया करती है।।

    ...बहुत ख़ूबसूरत भावपूर्ण रचना..

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  22. bahut bahut khoobsurat najm.har line bahtreen hai.

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  23. aapke blog ka anusaran kar rahi hoon taki aapki update ghazalon ko padh sakoon.bahut achcha likhte hai aap.

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  24. waaaaaaaaaaah kya baat hai...bahut bhaav-pravan aur khoobsurat umda rachna.

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  25. सुंदर गेय रचना के लियें
    आभार..

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  26. vastav men behatreen rachna, badhai

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  27. khoob likha hai. lagata hai koee teere neemkash se bidh gaye hai!!!!!

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