तेरे बग़ैर गीत तो गाये कभी-कभी।
पर हर्फ़ कोई छूट सा जाये कभी-कभी॥
मिस्ले-सराय, दिल में तो आये तमाम लोग,
मेह्मान कोई चाँद भी आये कभी-कभी।
'हम तो लिबास में हैं सितारे सजा रहे',
दामन को इस भरम में जलाये कभी-कभी।
तेरे जमाल के सबब अपने हुये रक़ीब,
तन्हा ही जश्ने-मौत मनाये कभी-कभी।
रिश्ते तो मोहब्बत के सभी ज़िश्तरू हुये,
नफ़्रत ही कोई ढब से निभाये कभी-कभी।
है इशरते-सुह्बत-ए-हुस्न किस्मतन अता,
'ग़ाफ़िल' भी क्यूँ न मौज मनाये कभी-कभी॥
(रक़ीब=एक ही प्रेमिका के दो प्रेमी आपस में रक़ीब कहलाते हैं, ज़िश्तरू=बदसूरत, इशरत=खुशी)
बहुत खूबसूरत गज़ल ... आज सच ही नफरत भी ढंग से नहीं निभायी जाती :):)
ReplyDeletefir se ek badhiya ghazal.Gafil ji aap itne achchi urdu kaise likh lete hain?
ReplyDeleteतेरे बग़ैर गीत तो गाये कभी-कभी।
ReplyDeleteपर हर्फ़ कोई छूट सा जाये कभी-कभी॥
बहुत खूब ! बेहतरीन गज़ल..
तेरे जमाल के सबब अपने हुये रक़ीब,
ReplyDeleteतन्हा ही जश्ने-मौत मनाये कभी-कभी।
रिश्ते तो मोहब्बत के सभी ज़िश्तरू हुये,
नफ़्रत ही कोई ढब से निभाये कभी-कभी।
वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ...अनुपम प्रस्तुति ।
एक बार फिर से बेहतरीन ग़ज़ल ....बहुत खूब
ReplyDeleteरिश्ते तो मोहब्बत के सभी ज़िश्तरू हुये,
ReplyDeleteनफ़्रत ही कोई ढब से निभाये कभी-कभी।
- बेहतरीन ग़ज़ल.बहुत खूब
तेरे जमाल के सबब अपने हुये रक़ीब,
ReplyDeleteतन्हा ही जश्ने-मौत मनाये कभी-कभी।
बेहतरीन अशआर,बेहतरीन गज़ल,वाह !!!
मिस्ले-सराय, दिल में तो आये तमाम लोग,
ReplyDeleteमेह्मान कोई चाँद भी आये कभी-कभी।
बहुत ख़ूब!
तेरे जमाल के सबब अपने हुये रक़ीब,
ReplyDeletebehtareen gagal , thank u
बहुत खूबसूरत और भावप्रणव ग़ज़ल लिखी आपने "ग़ाफिल" साहब!
ReplyDeleteग़ज़लों में आपका कोई सानी नहीं हैं!
रचना के बिम्ब बहुत रोचक है शब्द संयोजन बहुत कमाल का खुबसूरत ग़ज़ल
ReplyDeleteतेरे जमाल के सबब अपने हुये रक़ीब,
ReplyDeleteतन्हा ही जश्ने-मौत मनाये कभी-कभी।...waah
बहुत खूबसूरत गज़ल ........
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्द संयोजन , बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteखूबसूरत गज़ल .
ReplyDeleteशानदार गजल... उम्दा
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर शब्दों का सर्जन... सुंदर ग़ज़ल...
ReplyDeletebhaut hi sunder gazal...
ReplyDeleteUmda gajal..vah...vah...koi nafarat to dhab se nibhaye..kya khub kaha hai..
ReplyDeleteउम्दा गजल
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल .
ReplyDelete'हम तो लिबास में हैं सितारे सजा रहे',
ReplyDeleteदामन को इस भरम में जलाये कभी-कभी।
खूबसूरत गजल...आभार.
सादर,
डोरोथी.
bahut khoob !!! mauj manayey lekin akele nahi kabhi !!
ReplyDeleteहम तो लिबास में हैं सितारे सजा रहे',
ReplyDeleteदामन को इस भरम में जलाये कभी-कभी।
bahut khoob
behtreen gazal
aap bahut acchhe gazel kar hain.
ReplyDeleteaap bahut acchhe gazel kar hain.
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