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ग़ाफ़िल
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
सी. बी. मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
Saturday, August 27, 2016
बवंडर
उठा है एक बवंडर जो आज सीने से
नहीं पता है के वह राह किस गुज़रता है
इन आँधियों का सफ़र देखना है ग़ाफ़िल अब
फ़क़त न घर ही, यहाँ क्या तबाह करता है
-‘ग़ाफ़िल’
1 comment:
Yogi Saraswat
August 27, 2016 1:41 PM
खूबसूरत अल्फ़ाज़
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खूबसूरत अल्फ़ाज़
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