Monday, April 16, 2012

क्षणिकाएँ-

1-
बस ज़रा सा
चश्म ख़म
ता'उम्र क़ैद।
2-
हुस्न था
बेपर्दगी थी
चुक गया।
3-
रास्ता
पुरख़ार था
डग सध गये।
4-
आशिक़ पे थूका!
शुक़्र है
इंसाँ पे नहीं।
5-
उफ़्‌! ये
रूहानी आहें?
उश्शाक़-वार्ड है।

(उश्शाक़=आशिक़ का बहुबचन, ढेर सारे आशिक़)
                                                                         -ग़ाफ़िल

19 comments:

  1. बस ज़रा सा
    चश्म ख़म
    ता'उम्र क़ैद।

    :):) ... बहुत खूब

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  2. naye rang hain ..naya dhang hai..is tarah se lekhan me aapka anutha agaj ..sirjee behad pasan hai...lekin dhyan rakhiye aapka blog ham urdu aaur ghazal seekhne walon kee pathshala bhee hai..shabd pareshan karte hain

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  3. बहुत खूब लिखा है |
    आशा

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  4. उफ़्‌! ये
    रूहानी आहें?
    उश्शाक़-वार्ड है।...हाइकु में पुरजोर दम है

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  5. रास्ता
    पुरख़ार था
    डग सध गये।
    Bahut Sunder

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    1. सुन्दर हुश्निकाएं/विचार कणिकाएं हैं ज़नाब,ज़िन्दगी से रु -बा -रु .

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  6. वाह...बहुत सुंदर क्षणिकाएँ !

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  7. सुंदर क्षणिकाएँ
    कृपया अवलोकन करे ,मेरी नई पोस्ट ''अरे तू भी बोल्ड हो गई,और मै भी''

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  8. वाह!!!!बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन क्षणिकाए ,...

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...

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  9. बस ज़रा सा
    चश्म ख़म
    ता'उम्र क़ैद।


    ओए होए,,,,वाह!!

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  10. बहुत सुन्दर क्षणिकाएं !

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  11. आशिक़ पे थूका!
    शुक़्र है
    इंसाँ पे नहीं।
    कम-कम शब्दों में आपने बड़ी ही रो़चक बातें कही है।

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  12. हुस्न था
    बेपर्दगी थी
    चुक गया।
    wah gafil ji
    khandhar batate hain emarat buland thi ....badhai sweekaren.

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  13. उफ़्‌! ये
    रूहानी आहें?
    उश्शाक़-वार्ड है।

    वाह ।

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  14. बहुत सुन्दर वाह एक से बढ़ कर एक

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