मान जा ऐ दिल
है बड़ी मुश्क़िल
फिर भी नफ़रत सीख ले!
तुझको जीना है
जख़्म सीना है
रात काली है
और दिवाली है
लुट चुकी अस्मत
मिट चुकी क़िस्मत
हुस्न है फन्दा
फंस गया बन्दा
कहता ये ग़ाफ़िल
ना भी बन क़ातिल
फिर भी नफ़रत सीख ले!
मान जा ऐ दिल
है बड़ी मुश्क़िल
फिर भी नफ़रत सीख ले!
कमेंट बाई फ़ेसबुक आई.डी.
है बड़ी मुश्क़िल
फिर भी नफ़रत सीख ले!
तुझको जीना है
जख़्म सीना है
रात काली है
और दिवाली है
लुट चुकी अस्मत
मिट चुकी क़िस्मत
हुस्न है फन्दा
फंस गया बन्दा
कहता ये ग़ाफ़िल
ना भी बन क़ातिल
फिर भी नफ़रत सीख ले!
मान जा ऐ दिल
है बड़ी मुश्क़िल
फिर भी नफ़रत सीख ले!
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thanks yashoda ji!
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति -
ReplyDeleteआभार आदरणीय गाफिल जी -
ReplyDeleteअजी आज सीखने की कहाँ ज़रुरत है। आगे पीछे देखो ज़रा। ..
sikhane ki jarurat kaha..roj kisi ek se nafrat ho hi jati hai..chalate chalate rahon me... :-)
ReplyDeleteआज चारों ओर नफ़रत का राज्य है...सब बिना कहे ही सीख रहे हैं...
ReplyDeleteलुट चुकी अस्मत
ReplyDeleteमिट चुकी क़िस्मत
हुस्न है फन्दा
फंस गया बन्दा
कहता ये ग़ाफ़िल
ना भी बन क़ातिल
फिर भी नफ़रत सीख ले!
बहुत सुन्दर