क्या लहू में है रवानी आजकल
है कहाँ आँखों का पानी आजकल
आते हैं उड़ जाते हैं पर फुर्र से
ख़्वाब जो हैं आसमानी आजकल
नाम तो अपना है लेकिन ज़िन्दगी
लिख रही किसकी कहानी आजकल
मैं हवाओं की ज़ुबानी वक़्त की
सुन रहा हूँ लन्तरानी आजकल
गुंचों की फ़ित्रत है ग़ाफ़िल फूल हों
उसमें भी है आनाकानी आजकल
-‘ग़ाफ़िल’
है कहाँ आँखों का पानी आजकल
आते हैं उड़ जाते हैं पर फुर्र से
ख़्वाब जो हैं आसमानी आजकल
नाम तो अपना है लेकिन ज़िन्दगी
लिख रही किसकी कहानी आजकल
मैं हवाओं की ज़ुबानी वक़्त की
सुन रहा हूँ लन्तरानी आजकल
गुंचों की फ़ित्रत है ग़ाफ़िल फूल हों
उसमें भी है आनाकानी आजकल
-‘ग़ाफ़िल’
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