Friday, February 12, 2021

ग़ज़ल गुनगुनाने के दिन आ रहे हैं

आदाब दोस्तो! ‘‘नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैं’’ वाली फ़ैज़ अहमद ‘फ़ैज़’ साहब की ग़ज़ल की ज़मीन पर आप सबकी ख़िदमत में पेश हैं अपने भी चंद ताज़ा अश्आर-

सब उन पर लुटाने के दिन आ रहे हैं
लो दिल के ख़ज़ाने के दिन आ रहे हैं

बहुत हो चुके मौसिमों के बहाने
हुज़ूर आने जाने के दिन आ रहे हैं

बहार आने को है तुम आओ तो माने
के अब मुस्‍कुराने के दिन आ रहे हैं

जो सीखे सलीके मुहब्बत के अब तक
वो फ़न आज़माने के दिन आ रहे हैं

मुहब्बत ने अँगड़ाई ली जी में, शायद
ग़ज़ल गुनगुनाने के दिन आ रहे हैं

-‘ग़ाफ़िल’

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