Monday, April 12, 2021

आपका हो जाऊँगा (2122 2122 2122 212)

आपकी ख़्वाहिश है तो गोया फ़ना हो जाऊँगा
ऐसे भी पर देखिएगा आपका हो जाऊँगा

आपने ठुकरा दिया इज़्हारे उल्फ़त मेरा गर
क्या बताऊँ आपको मैं फिर के क्या हो जाऊँगा

मंज़िले उल्फ़त की जानिब मेरे हमदम आपके
पावँ तो आगे बढ़ें मैं रास्ता हो जाऊँगा

आपकी हो जाए मेरी सू निगाहे लुत्फ़ भर
देख लेना फ़र्श से मैं अर्श का हो जाऊँगा

ग़ाफ़िल और आशिक़ मिजाज़ ऐसा है गो मुश्किल मगर
याद करिए आप! था मैंने कहा हो जाऊँगा

-‘ग़ाफ़िल’

11 comments:

  1. बहुत खूब , खूबसूरत ग़ज़ल

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  2. बहुत उम्दा ग़ज़ल।

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  3. लाजवाब गजल
    वाह!!!

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