वो ज़माना और था अब ये ज़माना और है।
वो तराना और था अब ये तराना और है।।
यार के जख़्मों को धोया आँसुओं की धार से,
वो दीवाना और था अब ये दीवाना और है।
टूटता था दिल तो बन जाती हसीं इक दास्ताँ,
वो फ़साना और था अब ये फ़साना और है॥
देखते वे ग़ैर-जानिब क़त्ल हो जाते थे हम,
वो निशाना और था अब ये निशाना और है।
मुद्दई तब भी थीं ग़ाफ़िल! ग़ालिबन् नज़रें यही,
वो बहाना और था अब ये बहाना और है।।
-‘ग़ाफ़िल’
यार के जख़्मों को धोया आँसुओं की धार से,
ReplyDeleteवो दीवाना और था अब ये दीवाना और है।
वाह क्या बात, गजब है बिलकुल ...
देखते वो ग़ैर-ज़ानिब क़त्ल हो जाते थे हम,
ReplyDeleteवो निशाना और था अब ये निशाना और है।
इस तरह की ग़ज़ल, इस तरह के शे’र कभी पुराने नहीं होते।
टूटता था दिल तो बन जाती हसीं इक दास्ताँ,
ReplyDeleteवो फ़साना और था अब ये फ़साना और है॥
वाह यह फ़साना ....!
"वो बहाना और था और यह बहाना और है "
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना बधार्र |
आशा
टूटता था दिल तो बन जाती हसीं इक दास्ताँ,
ReplyDeleteवो फ़साना और था अब ये फ़साना और है।
बहुत खूब , गाफिल साहब, बहुत खूब।
यार के जख़्मों को धोया आँसुओं की धार से,
ReplyDeleteवो दीवाना और था अब ये दीवाना और है।
Wah...Bahut Sunder
यार के जख़्मों को धोया आँसुओं की धार से,
ReplyDeleteवो दीवाना और था अब ये दीवाना और है।... bahut parivartan hua
यार के जख़्मों को धोया आँसुओं की धार से,
ReplyDeleteवो दीवाना और था अब ये दीवाना और है।
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल...
सादर बधाई...
बहुत सुन्दर ग़ज़ल......
ReplyDeletekhubsurat gazal....
ReplyDeleteटूटता था दिल तो बन जाती हसीं इक दास्ताँ,
ReplyDeleteवो फ़साना और था अब ये फ़साना और है ...
वाह .. लाजवाब .... कमाल की गज़ल है .. समय समय की बात है ... ज़माने का अंतर है .. क्या कहने ..
बहुत खूब कहा है आपने .......उम्दा गजल
ReplyDeleteवाह बहुत ही खूबसूरत भावो को संजोया है।
ReplyDeleteBahut sundar rachna Gaafil saahab... Bahut sundar..
ReplyDeleteदेखते वो ग़ैर-ज़ानिब क़त्ल हो जाते थे हम,
ReplyDeleteवो निशाना और था अब ये निशाना और है।गाफ़िल साहब बहुत खूबसूरत काबिले दाद हरेक अशआर ,क्या कहने हैं आपके .मर बे हवा .यही कहते हैं न ?
Saturday, August 20, 2011
प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
http://sb.samwaad.com/
यार के जख़्मों को धोया आँसुओं की धार से,
ReplyDeleteवो दीवाना और था अब ये दीवाना और है।
aansuo ki dhaara bahne lage..main samajh sakta hoon is deewangi ko
देखते वो ग़ैर-ज़ानिब क़त्ल हो जाते थे हम,
ReplyDeleteवो निशाना और था अब ये निशाना और है।
क्या कहने आपके....
गजब कर दिया...
बहुत खूब , गाफिल साहब, बहुत खूब।
ReplyDeleteसामयिक रचना .
ReplyDeleteश्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
मुद्दई तब भी थीं ग़ाफ़िल! ग़ालिबन् नज़रें यही,
ReplyDeleteवो बहाना और था अब ये बहाना और है॥
शानदार अभिब्यक्ति के लिए बधाई आपको /जन्माष्टमी की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं /
आप ब्लोगर्स मीट वीकली (५) के मंच पर आयें /और अपने विचारों से हमें अवगत कराएं /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /प्रत्येक सोमवार को होने वाले
" http://hbfint.blogspot.com/2011/08/5-happy-janmashtami-happy-ramazan.html"ब्लोगर्स मीट वीकली मैं आप सादर आमंत्रित हैं /आभार /
वाह,क्या मिसरे उठाये आपने अबकी दफा..
ReplyDeleteवो उठाना और था अब ये उठाना और है.
समय का फेर है |
ReplyDeleteकाफी कुछ बदल गया है २५ वर्षों में ||
वो सुबह का राग था ये डूबती सी शाम है |
वो दीवाना था नया सा, अब मगर बदनाम है |
बढ़िया ||
ऐसे ही
बीच-बीच में पुरानी रचनाएं भी पढवातें रहें ||
आभार ||
वो जमाना और था अब ये जमाना और है।
ReplyDeleteवो तराना और था अब ये तराना और है॥गाफ़िल भाई आप लोगों ने हौसला बधाया हुआ है वरना एक श्रेष्ठ वरिष्ठ ,नेक नागरिक की गिरती सेहत ....हम सबको विचलित करने लगी है ..कब तक रुकेगा यह लावा अन्दर .....
शर्म उनको फिर भी नहीं आती ,संवेदन हीन प्रधान मंत्री इस मौके पर भी इफ्त्यार पार्टी का न्योंता दे रहें हैं .मुस्लिम भाइयों को इस न्योंते को राष्ट्र हित में ठुकरा देना चाहिए .डॉ मोनिका जी , आपका बड़ा हौसला है हम तो अन्ना जी की सेहत को लेकर .....बेशक शरीर और मन -बुद्धि संस्कार का संयुक्त रूप चेतन ऊर्जा अलग है ...शरीर का क्या है लेकिन उपभोक्ता तो आत्मा ही है ,.........
अन्ना जी की सेहत खतरनाक रुख ले रही है .जय अन्ना ,जय कृष्णा यौना -प्रचोदयात .........
गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
Posted by veerubhai on Sunday, August 21
२३ अगस्त २०११ १:३६ अपराह्न
यार के जख़्मों को धोया आँसुओं की धार से,
ReplyDeleteवो दीवाना और था अब ये दीवाना और है।
वो जमाना और था अब ये जमाना और है।
वो तराना और था अब ये तराना और है॥गाफ़िल भाई आप लोगों ने हौसला बधाया हुआ है वरना एक श्रेष्ठ वरिष्ठ ,नेक नागरिक की गिरती सेहत ....हम सबको विचलित करने लगी है ..कब तक रुकेगा यह लावा अन्दर .....इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार ./ http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com
Tuesday, August 23, 2011
इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार .
जिस व्यक्ति ने आजीवन उतना ही अन्न -वस्त्र ग्रहण किया है जितना की शरीर को चलाये रखने के लिए ज़रूरी है उसकी चर्बी पिघलाने के हालात पैदा कर दिए हैं इस "कथित नरेगा चलाने वाली खून चुस्सू सरकार" ने जो गरीब किसानों की उपजाऊ ज़मीन छीनकर "सेज "बिछ्वाती है अमीरों की ,और ऐसी भ्रष्ट व्यवस्था जिसने खड़ी कर ली है जो गरीबों का शोषण करके चर्बी चढ़ाए हुए है .वही चर्बी -नुमा सरकार अब हमारे ही मुसलमान भाइयों को इफ्तियार पार्टी देकर ,इफ्तियार का पुण्य भी लूटना चाहती है ।
अब यह सोचना हमारे मुस्लिम भाइयों को है वह इस पार्टी को क़ुबूल करें या रद्द करें .उन्हें इस विषय पर विचार ज़रूर करना चाहिए .भारत देश का वह एक महत्वपूर्ण अंग हैं ,वाइटल ओर्गेंन हैं .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com//......
गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
Posted by veerubhai on Sunday, August 21
२३ अगस्त २०११ १:३६ अपराह्न
यार के जख़्मों को धोया आँसुओं की धार से,
ReplyDeleteवो दीवाना और था अब ये दीवाना और है...
Very appealing lines. Beautiful ghazal.
.
बहुत सुंदर..!!
ReplyDeletebehd khubsurt .....sir....behd khubsurt .....sir....
ReplyDeleteNice post .
ReplyDeleteगाफ़िल जी, नमस्कार बहुत सुन्दर लाइने है - [ यार के जख़्मों को धोया आँसुओं की धार से,
ReplyDeleteवो दीवाना और था अब ये दीवाना और है।]
बहुत ही बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर
बहुत खूब ....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर गजल है....
बहुत खूबसूरत गजल
ReplyDeleteवाह!!
ReplyDeleteबेहतरीन गज़ल..
सादर.
वाह! बढ़िया ग़ज़ल सर ....:)
ReplyDeleteसार्थक-उपयोगी और उम्दा प्रस्तुति!
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