Saturday, November 30, 2013

ज़मीन पर भी एक आसमान क्या कहिए!


6 comments:

  1. बढ़िया है आदरणीय-
    बधाई स्वीकारें-

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  2. बहुत सुन्दर रचना है |
    आशा

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  3. लाजवाब...
    बहुत सुन्दर...
    :-)

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  4. lajawab ! ab iske aage kya kahiye !

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (01-112-2013) को "निर्विकार होना ही पड़ता है" (चर्चा मंचःअंक 1448)
    पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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