वो आए किसी भी बहाने से पहले
उसे देखना है ठिकाने से पहले
बताओ भला इश्क़ की भी इजाज़त
अरे यार क्या लूँ ज़माने से पहले
चलाया वो तीरे नज़र और लगा भी
मगर हिचकिचाया चलाने से पहले
मेरी धडकनों के भी बावत सितमगर
ज़रा सोचता मुस्कुराने से पहले
कहाँ हौसला था उठाने का परबत
हसीनों के नख़रे उठाने से पहले
ज़रा झाँकना आईने में भी ग़ाफ़िल
मुझे इश्क़ में आज़माने से पहले
उसे देखना है ठिकाने से पहले
बताओ भला इश्क़ की भी इजाज़त
अरे यार क्या लूँ ज़माने से पहले
चलाया वो तीरे नज़र और लगा भी
मगर हिचकिचाया चलाने से पहले
मेरी धडकनों के भी बावत सितमगर
ज़रा सोचता मुस्कुराने से पहले
कहाँ हौसला था उठाने का परबत
हसीनों के नख़रे उठाने से पहले
ज़रा झाँकना आईने में भी ग़ाफ़िल
मुझे इश्क़ में आज़माने से पहले
-‘ग़ाफ़िल’
आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 04 जुलाई 2016 को लिंक की गई है............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपका आभार यशोदा जी
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (04-07-2016) को "गूगल आपके बारे में जानता है क्या?" (चर्चा अंक-2393) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार शास्त्री जी
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