Friday, October 13, 2017

कौन है वह क़िस्मतवर

गर नहीं मैं हूँ तो फिर कौन है वह क़िस्मतवर
रात जिसके ही तसव्वुर में गुज़रती है तेरी

-‘ग़ाफ़िल’

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