मैं ग़ाफ़िल यूँ भी ख़ुश हूँ अच्छा है ! ... लेकिन अक्षर साफ़ नहीं दिखाई दे रहे ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!इसका लिंक आज चर्चा मंच पर भी है।
वाह ....बहुत खूब गुरु जी।आज कल आप मेरे ब्लॉग पर नही आये ...आइयेगा मेरी नई कविता आपके इंतज़ार में है: नम मौसम, भीगी जमीं ..
बहुत खूब गाफिल साहब .
वाह सर वाह क्या बात है.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति,,,गाफिल जी,,,recent post: वजूद,
बहुत खूब, अच्छे लोग भी ज्यादा याद किये जाते हैं ज्यादा बुरे लोग भी!!
बहुत खूब ...
मैं ग़ाफ़िल यूँ भी ख़ुश हूँ
अच्छा है !
... लेकिन अक्षर साफ़ नहीं दिखाई दे रहे ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteइसका लिंक आज चर्चा मंच पर भी है।
वाह ....बहुत खूब गुरु जी।
ReplyDeleteआज कल आप मेरे ब्लॉग पर नही आये ...आइयेगा मेरी नई कविता आपके इंतज़ार में है: नम मौसम, भीगी जमीं ..
बहुत खूब गाफिल साहब .
ReplyDeleteवाह सर वाह क्या बात है.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति,,,गाफिल जी,,,
ReplyDeleterecent post: वजूद,
बहुत खूब, अच्छे लोग भी ज्यादा याद किये जाते हैं ज्यादा बुरे लोग भी!!
ReplyDeleteबहुत खूब ...
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