ख़ूब अपना बना के देख लिया
मैं तुझे आजमा के देख लिया
तुझको ख़ुश देखने की ख़्वाहिश में
मैंने ख़ुद को गंवा के देख लिया
बात करके मुझे बेज़ार न कर!
हो चुका ख़ूब अब लाचार न कर!
तेरी ख़ुदगर्ज़ियाँ छुपी न रहीं
बख़्श दे मुझको और प्यार न कर!
अब तो अपना जमाना चाहता हूँ
ख़ुद को अब आजमाना चाहता हूँ
तेरी ख़ुशियों से मैं क्यूँ ख़ुश होऊँ
ख़ुद की ख़ुशियों में जाना चाहता हूँ।।
मैं तुझे आजमा के देख लिया
तुझको ख़ुश देखने की ख़्वाहिश में
मैंने ख़ुद को गंवा के देख लिया
बात करके मुझे बेज़ार न कर!
हो चुका ख़ूब अब लाचार न कर!
तेरी ख़ुदगर्ज़ियाँ छुपी न रहीं
बख़्श दे मुझको और प्यार न कर!
अब तो अपना जमाना चाहता हूँ
ख़ुद को अब आजमाना चाहता हूँ
तेरी ख़ुशियों से मैं क्यूँ ख़ुश होऊँ
ख़ुद की ख़ुशियों में जाना चाहता हूँ।।
मित्रों..!
ReplyDeleteआजकल उत्तराखण्ड में बारिश और बाढ़ का कहर है। जिससे मैं भी अछूता नहीं हूँ। विद्युत आपूर्ति भी ठप्प है और इंटरनेट भी बाधित है। आज बड़ी मुश्किल से नेट चला है।
--
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बुधवार (19-06-2013) को तड़प जिंदगी की ---बुधवारीय चर्चा 1280 में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जिंदगी का हर पहलूँ पढ़ने को मिला ...खुद से खुशी को पा लेने का सबब मिला .....बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सुन्दर नज्म
ReplyDeletelatest post परिणय की ४0 वीं वर्षगाँठ !
आपने लिखा....हमने पढ़ा
ReplyDeleteऔर लोग भी पढ़ें;
इसलिए आज 20/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिए एक नज़र ....
धन्यवाद!
बेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति
ReplyDeleteतुझको ख़ुश देखने की ख़्वाहिश में
ReplyDeleteमैंने ख़ुद को गंवा के देख लिया..एक शानदार नज्म ..लेकिन सर तेरी ख़ुशियों से मैं क्यूँ ख़ुश होऊँ आप जैसा शायर लिख तो रहा है पर ऐसा है नहीं ..बधाई के साथ
bahut khoob soorat gajal badhai sir ji .
ReplyDeleteअब तो अपना जमाना चाहता हूँ
ReplyDeleteख़ुद को अब आजमाना चाहता हूँ
तेरी ख़ुशियों से मैं क्यूँ ख़ुश होऊँ
ख़ुद की ख़ुशियों में जाना चाहता हूँ।।
बहुत बढ़िया अन्वेषण हैं स्व :दर्शन हैं .ॐ शान्ति
bahut achcha laga, Pranam sir
ReplyDeleteनज्म पसंद आई .
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