1-
"इसके सिवा कि तुम्हारा नर्म गुदाज़ हाथ अपने सीने में जबरन भींच लूँ बिना तुम्हारा हाथ दुखने की परवाह किये, मेरे पास और कोई चारा नहीं बचा क्योंकि मेरे लिए अब अपने दिल की बेकाबू हुई जा रही धड़कन को काबू करना बेहद ज़ुरूरी हो गया है..." उसने कहा था
2.
उसने कहा था अरे! तू तो कोई फ़जूल काम नहीं करता फिर आज कैसे? अगर कुछ ज़्यादा न मान तो अब तेरा मुझसे मिलने आना वेसे ही फ़जूल है जैसे ता’उम्र किसी को नज़रंदाज़ करने के बाद उसकी क़ब्र पर दीया जलाने जाना
3.
...उसने जब पहली दफा घूँघट उठाया तो घूँघट उठाते ही बेतहाशा ख़ुशी से चिल्ला पड़ा- "या अल्ला! तेरा लाख लाख शुक़्र है कि तूने मुझे मेरे जैसी ही बदसूरत शरीक़े-हयात अता फ़रमाया वर्ना मैं ता'उम्र सांसत में रहता" और उसका चेहरा अजीब सुकून भरे एहसास से दमक उठा।
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...उसने जब पहली दफा घूँघट उठाया तो घूँघट उठाते ही बेतहाशा ख़ुशी से चिल्ला पड़ा- "या अल्ला! तेरा लाख लाख शुक़्र है कि तूने मुझे मेरे जैसी ही बदसूरत शरीक़े-हयात अता फ़रमाया वर्ना मैं ता'उम्र सांसत में रहता" और उसका चेहरा अजीब सुकून भरे एहसास से दमक उठा।
बहुत खूबसूरत अहसास..
ReplyDeletethanks Anita ji!
Deleteउम्दा अहसास
ReplyDeleteथैंक्स आशा जी
Deleteबहुत बढ़िया अंदाजे बयां ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteबेहतरीन एहसास हैं ये तो.. जुदा जुदा से..
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