1-
ऐसी ‘बहार’ क्या न हो जिसमें विसाले यार
हर बार ये ही सोचूँ मैं तक़्दीर देखिए
2-
ज़ख़्मों के मेरे चर्चे थोड़े बहुत हुए भी
चर्चे नहीं हुए गर तो आपकी बदी के
3-
आपके रुख़ पे न जाने क्यूँ है पहरा-ए-हिजाब
वर्ना तो पानी भरे हैं आफ़्ताबो माहताब
3-
वो था रू-ब-रू पै कहा लापता हूँ
कहे जा रही है फ़क़ीर उसको दुनिया
4-
रास्ते का शऊर जिसको नहीं
ख़ाक औरों को रास्ता देगा
5-
जाऊँ मैं कैसे भला कोई बताए उस तक
मैं जिसे ढूँढ रहा हूँ वो मेरा साया है
ऐसी ‘बहार’ क्या न हो जिसमें विसाले यार
हर बार ये ही सोचूँ मैं तक़्दीर देखिए
2-
ज़ख़्मों के मेरे चर्चे थोड़े बहुत हुए भी
चर्चे नहीं हुए गर तो आपकी बदी के
3-
आपके रुख़ पे न जाने क्यूँ है पहरा-ए-हिजाब
वर्ना तो पानी भरे हैं आफ़्ताबो माहताब
3-
वो था रू-ब-रू पै कहा लापता हूँ
कहे जा रही है फ़क़ीर उसको दुनिया
4-
रास्ते का शऊर जिसको नहीं
ख़ाक औरों को रास्ता देगा
5-
जाऊँ मैं कैसे भला कोई बताए उस तक
मैं जिसे ढूँढ रहा हूँ वो मेरा साया है
-‘ग़ाफ़िल’
No comments:
Post a Comment