ये सच है आपके ताने से जी बहलता है
मेरा किसी भी बहाने से जी बहलता है
नहीं कहूँ गर इसे इश्क़ तो कहूँ क्या जब
कोई भी तौर सताने से जी बहलता है
मैं शाद हूँ के नहीं छोड़िए इसे हाँ मगर
हुज़ूर आपके आने से जी बहलता है
तमाम होंगे सताए हुए ज़माने के
मैं हूँ के जिसका ज़माने से जी बहलता है
नया है जो जो उसे ग़ाफ़िल और जाँच परख
है तज़्रिबा के पुराने से जी बहलता है
-‘ग़ाफ़िल’
मेरा किसी भी बहाने से जी बहलता है
नहीं कहूँ गर इसे इश्क़ तो कहूँ क्या जब
कोई भी तौर सताने से जी बहलता है
मैं शाद हूँ के नहीं छोड़िए इसे हाँ मगर
हुज़ूर आपके आने से जी बहलता है
तमाम होंगे सताए हुए ज़माने के
मैं हूँ के जिसका ज़माने से जी बहलता है
नया है जो जो उसे ग़ाफ़िल और जाँच परख
है तज़्रिबा के पुराने से जी बहलता है
-‘ग़ाफ़िल’
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