Saturday, February 20, 2021

जिधर देखो इशारे हो रहे हैं (1222 1222 122)

ये देखो रंग प्यारे हो रहे हैं
अरे! सारे के सारे हो रहे हैं

कोई तो ख़ूबी-ए-नौ आई हममें
जो थे ग़ैर अब हमारे हो रहे हैं

हुआ अच्छा किनारा कर ली किस्मत
हम अब अपने सहारे हो रहे हैं

हरूफ़ अपने गँवा बैठी ज़ुबाँ क्या
जिधर देखो इशारे हो रहे हैं

हैं हम जैसे रहेंगे वैसे ग़ाफ़िल
भले किस्मत के मारे हो रहे हैं

-‘ग़ाफ़िल’

5 comments:


  1. हुआ अच्छा किनारा कर ली किस्मत
    हम अब अपने सहारे हो रहे हैं ,,,,,, बहुत सुंदर ग़ज़ल, आदरणीय शुभकामनाएँ ।

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (०९-०३-२०२१) को 'मील का पत्थर ' (चर्चा अंक- ४,००० ) पर भी होगी।

    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

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