हैं जो बेहोश उन्हें होश भी आ जाएगा
जो बदहवास हैं उनका तो बस ख़ुदा मालिक
दूर हूँ तुझसे तो हूँ तीरे-नज़र से महफ़ूज़
जो आस-पास हैं उनका तो बस ख़ुदा मालिक
-‘ग़ाफ़िल’
जो बदहवास हैं उनका तो बस ख़ुदा मालिक
दूर हूँ तुझसे तो हूँ तीरे-नज़र से महफ़ूज़
जो आस-पास हैं उनका तो बस ख़ुदा मालिक
-‘ग़ाफ़िल’
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteशुक्रिया सुमन जी!
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर,
ReplyDeleteमंगलकामनाओं के साथ !
सराहनीय पोस्ट
ReplyDeleteसक्रांति की शुभकामनाएँ।
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteसक्रांति की शुभकामनाएँ।