आँखों में दर्या रहता है
जी फिर भी प्यासा रहता है
जब तू नहीं रहता है जी में
जाने फिर क्या क्या रहता है
तू क्या जाने मुझे नशा तो
तेरी उल्फ़त का रहता है
मेरी आँखों में झाँके तो
तू ही, देखेगा, रहता है
गिरगिट रंग बदल ले कितना
साँपों का चारा रहता है
साँप नेवले के खेले सा
जग सारा चलता रहता है
मैं ग़ाफ़िल हूँ लेकिन तू तो
राेज़ो शब सोया रहता है
-‘ग़ाफ़िल’
जी फिर भी प्यासा रहता है
जब तू नहीं रहता है जी में
जाने फिर क्या क्या रहता है
तू क्या जाने मुझे नशा तो
तेरी उल्फ़त का रहता है
मेरी आँखों में झाँके तो
तू ही, देखेगा, रहता है
गिरगिट रंग बदल ले कितना
साँपों का चारा रहता है
साँप नेवले के खेले सा
जग सारा चलता रहता है
मैं ग़ाफ़िल हूँ लेकिन तू तो
राेज़ो शब सोया रहता है
-‘ग़ाफ़िल’
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