याद हो या के न हो नींद में क्या क्या आया
हाँ मगर ये है मुझे ख़्वाब सुहाना आया
मैं दबा जाता रहा ख़ुश्बुओं के बोझ तले
प्यार हिस्से में मेरे आपका इतना आया
-‘ग़ाफ़िल’
हाँ मगर ये है मुझे ख़्वाब सुहाना आया
मैं दबा जाता रहा ख़ुश्बुओं के बोझ तले
प्यार हिस्से में मेरे आपका इतना आया
-‘ग़ाफ़िल’
वाह ! बहुत ख़ूब 👌
ReplyDeleteबस प्यार प्यारा हो...इतना सा भी है तो क्या कहने!
ReplyDelete